उदित वाणी, जमशेदपुर: सृजन संवाद की 118वीं संगोष्ठी में कथाकार पंकज मित्र की कहानी पर चर्चा हुई. वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर आयोजित इस गोष्ठी में पंकज मित्र ने भावपूर्ण तरीके से अपनी कहानी ‘एक हँसोड़ का हलफ़नामा’ का पाठ किया.
कहानी पाठ के बाद करीम सिटी कॉलेज के मास कॉम विभाग की अध्यक्ष डॉ. नेहा तिवारी ने कहा कि कहानी हमारे शक-शुबहे की आदत पर अपनी बात रखती है. समसामयिक कहानी दिखाती है कि हम किसी रिश्ते को लेकर सहज भाव से नहीं सोच पाते हैं.
एक समय लोग हास्य को सहज भाव से ग्रहण करते थे और जरूरत पड़ने पर माफ़ी माँग लेते थे एवं माफ़ी मिल भी जाती थी. कहानी एक सकारात्माक सोच का संकेत और उसकी आवश्यकता पर बल देती है.
डॉ. शांति नायर ने कहानी का गहराई से विश्लेषण करते हुए उसमें प्रदर्शित विडम्बना को उजागर किया. उन्होंने कहा कि हर बात के विभिन्न मायने होते हैं. हँसी भी क्रूर हो सकती है, जैसे इस कहानी में एक पात्र की हँसी है, जो सत्ता और वर्चस्व का प्रतीक है. डॉ. विजय शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा धन्यवाद भी दिया.
वर्चुअल गोष्ठी में जमशेदपुर से डॉ. नेहा तिवारी, गीता दुबे, आभा विश्वकर्मा, डॉ. विजय शर्मा, अरविंद कुमार, रांची से डॉ. कनक ऋद्धि, पंकज मित्र, कहानीकार कमलेश, वैभव मणि त्रिपाठी, केरल से डॉ. शांति नायर, दिल्ली से डॉ. रमेश कुमार सिंह, मुंबई से कहानीकार ओमा शर्मा, रक्षा गीता, वर्धा से डॉ अमरेंद्र कुमार शर्मा, लखनऊ से डॉ. मंजुला मुरारी, डॉ. राकेश पांडेय, गोमिया से डॉ. प्रमोद कुमार बर्णवाल, गोड्डा से बिनय सौरभ, बनारस से नाटककार जयदेव, चेन्नई से महेंद्र कुमार जुड़ें. ‘सृजन संवाद’ की नवम्बर माह की गोष्ठी सिनेमा पर होगी.
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