- मजदूरों के वकील ने कहा-एजेंट की तरह काम कर रहे हैं आरपी
उदित वाणी, जमशेदपुर: टायो मामले को लेकर बुधवार को एनसीएलटी कोलकाता में सुनवाई हुई. सुनवाई रोहित कपूर एंव बलराज जोशी की खंड पीठ में हुई. टायो के मजदूरों द्वारा दायर पिटीशन के तहत कामगारों के 190 करोड़ के दावे को लेकर सुनवाई. सुनवाई में रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) द्वारा कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स को गैरकानूनी ढंग से गठित कर मजदूरों के वोटिंग अधिकार को घटाने और झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के वोटिंग अधिकार को बढ़ाने के मसलों पर भी बहस गुई. मजदूरों के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि मजदूरों ने अपने पिटीशन में पहले 24 करोड़ का दावा किया, जिसे एनसीएलटी की बेंच ने स्वीकृत किया. लेकिन पहले रिजोल्यूशन प्रोफेशनल विनिता अग्रवाल ने उसे घटाकर 20 करोड़ कर दिया ताकि मजदूरों का वीटो का अधिकार कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स में न रहे. उन्होंने आगे बताया कि नये रिजोल्यूशन प्रोफेशनल अनीश अग्रवाल ने अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद झारखंड बिजली वितरण निगल लिमिटेड का दावा बढ़ाकर 366 करोड़ रूपये कर दिया और झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड का वोटिंग अधिकार 90 फीसदी से अधिक कर दिया. दूसरी ओर मजदूरों का वोटिंग अधिकार 32 फीसदी से घटा कर 7 फीसदी कर दिया और इस प्रकार मजदूरों को लगभग कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स से बाहर का रास्ता दिखा दिया. उन्होंने आगे बताया कि झारखंड बिजली वितरण निगम का दावा 24 साल पुराना है, जो मसला उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय तक गया. तब यह तीन साल से पुराना दावा रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने कैसे मंजूर किया?
190 करोड़ का दावा
उन्होंने आगे बताया कि झारखंड बिजली वितरण निगम का दावा टायो कंपनी ने आकस्मिक देयताएं के रूप में दिखाया है, जिसका मूल्यांकन कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया विनियमन 14 तहत होता है जिसे रिजोल्यूशन प्रोफेशनल अनीश अग्रवाल नहीं कराया है और फर्जीवाड़ा कर कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स को झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के कब्जे में करा दिया. मजदूरों का दावा 190 करोड़ का है और यह औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25 ओ के तहत किया गया है जिसे रिजोल्यूशन प्रोफेशनल बदल नहीं सकता. उन्होंने कहा कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल के फर्जीवाड़े के कारण कोई अच्छी कंपनी इसका अधिग्रहण करने एनसीएलटी में नहीं आई क्योंकि टाटा, टायो की 350 एकड़ जमीन पर अपना कब्जा चाहती है और टायो का फर्जी तरीके से परिसमापन करना चाहती है.
एजेंट के तौर पर काम कर रहे शशि अनीश अग्रवाल
श्रीवास्तव ने आगे बताया कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल अनीश अग्रवाल अग्रवाल अब तक टाटा स्टील और झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्होंने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए एनसीएलटी को बताया कि वास्तव में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड का कोई दावा टायो कंपनी पर बनता ही नहीं है.
टायो की जमीन लीज नहीं
टायो के जमीन की तथाकथित लीज का मसला उठाते हुए अखिलेश श्रीवास्तव ने एनसीएलटी को बताया कि यह जमीन लीज नहीं है. यह सरकारी अनुदान है जिसे बिहार सरकार ने 1969 में टाटा स्टील को दिया था. टाटा स्टील ने एक संयुक्त उपक्रम के तहत टायो कंपनी (टाटा योदोगावा) जापान की एक कंपनी योदोगावा के सहयोग से लगाई और इसके चलते सरकारी अनुदान के प्रावधानों के तहत उक्त जमीन का मालिकाना हक टायो के पास आ गया. उन्होंने कहा कि 2016 तक कंपनी चली और टायो के वित्तीय वर्ष 2016/17 के खाता-बही में दोषपूर्ण तरीके से नुक्सान को फर्जी तरीके से बढ़ाकर टाटा स्टील ने टायो को गैरकानूनी तरीके बंद कर दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी. कामगारों की पैरवी अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव एवं रमेश कुशवाहा ने की.
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