इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवन के साथ काम कर चुके हैं डॉ.मुर्मू
उदित वाणी,जमशेदपुर: सीएसआईआर की प्रमुख प्रयोगशाला राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) में पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति होने तक एक बार फिर से संस्थान की अतिरिक्त जिम्मेवारी सीएसआईआर की दूसरी प्रयोगशाला के निदेशक को दी गई है.
पिछले साल भर से सीएसआईआर एम्प्री भोपाल के निदेशक प्रोफेसर अवनीश कुमार श्रीवास्तव अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे. लेकिन शुक्रवार 8 सितंबर को सीएसआईआर की एक और प्रयोगशाला केन्द्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमईआरआई) दुर्गापुर के निदेशक डॉ. नरेश चंद्र मुर्मू को प्रभार दिया गया है.
उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही वे जमशेदपुर का दौरा कर एनएमएल के वैज्ञानिकों के साथ इन्टरैक्ट करेंगे. एनएमएल के निदेशक की नियुक्ति को लेकर पीएमओ की ओर से इन्टरव्यू किया गया है लेकिन जिन्हें एनएमएल की जिम्मेवारी सौंपी गई है, वे अभी तक ज्वाइन नहीं कर पाए है. इसे देखते हुए केन्द्र सरकार ने डॉ.मुर्मू को यह जिम्मेवारी सौंपी है.
आईआईटी बीएचयू से किया है पीएचडी
डॉ. मुर्मू सीएमईआरआई दुर्गापुर में मुख्य वैज्ञानिक और भूतल इंजीनियरिंग और ट्राइबोलॉजी समूह के प्रमुख के रूप में कार्यरत रहे हैं. उनके अनुसंधानों में एडिटिव और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, ग्राफीन कंपोजिट, इंक और लुब्रिकेंट्स और ग्राफीन अल्ट्राकैपेसिटर शामिल हैं. डॉ.मुर्मू ने 1992 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई की है.
इसके बाद 1994 में भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एमई और 2010 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू), वाराणसी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है. 2003 में सीआईएसआर-सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, दुर्गापुर में वैज्ञानिक के रूप में ज्वाइन किया.
उन्होंने 2001-2003 के दौरान जर्मनी के एर्लांगेन-नूरेमबर्ग विश्वविद्यालय और 2011-2012 के दौरान नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, यूएसए में विजिटिंग साइंटिस्ट के रूप में भी काम किया है. कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं उन्हें राष्ट्रीय डिजाइन पुरस्कार (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) एनडीआरएफ (2012), सीएसआईआर- रमन रिसर्च फेलोशिप (2012), डीएएडी फेलोशिप 2000 प्राप्त हुआ है. डॉ. मुर्मू ने पत्रिकाओं और सम्मेलनों में 100 से अधिक शोध पत्र, 4 पुस्तक अध्याय प्रकाशित किए हैं और 5 पेटेंट और 8 कॉपीराइट/डिज़ाइन पंजीकरण दायर किए हैं. वह वर्तमान में जर्नल ऑफ द इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) सीरीज-सी के एसोसिएट एडिटर और सह-अतिथि हैं. वे इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवन के नेतृत्व में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में काम किए हैं. अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली का भविष्य पर उनका योगदान रहा है. उल्लेखनीय योगदानों में 5 एक्सिस माइक्रो-मिलिंग मशीन, ग्राफीन सुपर-कैपेसिटर, फाइल बियरिंग और ईएचडी का विकास शामिल है.
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