उदित वाणी जमशेदपुर : लगभग 2 करोड़ 25 लाख की लागत से आदित्यपुर रेलवे स्टेशन का नया भवन बनकर तैयार हो गया है। नवनिर्मित इस स्टेशन भवन को रेलवे ने अभी हैंडओवर नहीं लिया है, लेकिन स्टेशन की इस भवन में हैंडओवर होने से पहले ही दरार आने लगी है। यही नहीं इस भवन को असमाजिक तत्वों ने अपना एय्याशी का अड्डा बना लिया है। जहां ऐसी तस्वीरे मिली जो आदित्यपुर रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था की पोल पूरी तरीके से खोल रही है। रेलवे स्टेशन के भवन के सीढ़ियों पर कई आपत्तिजनक सामग्री बिखरे मिले, सीढ़ियों पर इस्तेमाल किया गया गर्भ निरोधक फेका मिला, परिसर में फेके गर्भ निरोधक इस बात की गवाही दे रही है कि इस स्टेशन भवन को कैसे एय्याशी का अड्डा में तब्दील कर दिया गया है। हैरत की बात है कि 2.25 करोड़ की लागत से निर्मित इस भवन को रेलवे प्रशासन को हैंडओवर दिए बगैर संवेदक ने यहां से सुरक्षा प्रहरी हटा लिया है।
जिसका सीधा फायदा असमाजिक तत्व उठा रहे है। सबसे बड़ी बात है कि स्टेशन की सीढ़ी पर गर्भ निरोधक के पैकेट, इस्तेमाल किया गया गर्भ निरोधक के साथ किसी युवती की स्कर्ट भी दिखी है। जिससे यह भी संदेह है कि क्या किसी युवती को बुलाकर उसके साथ सामुहिक तौर पर गलत किया गया है ? हालांकि इन विषयों की जांच के उपरांत ही साफ हो पायेगा कि कोई अपराध हुआ है या फिर शराब और शबाब के साथ असमाजिक तत्व इस नये भवन को अपने एय्याशी के अड्डा बना लिया है। इधर मामले को लेकर आरपीएफ के प्रभारी ज्ञानेंद्र जेना का कहना है कि रात में आरपीएफ की टीम रेलवे स्टेशन पर रहती है, चुंकि नये भवन को वर्तमान में हैंडओवर नहीं लिया गया है तो इसके बारे में बेहतर संवेदक ही बता सकते है। आदित्यपुर रेलवे स्टेशन का यह नया भवन हैंडओवर होने के पूर्व ही इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठने लगने लगे है। मुख्य हॉल के खिड़कियों से नीचे बिल्डिंग में दरार आ रही है। इसके अलावे कई स्थानों पर दरारे दिख रही है, कुछ स्थानों पर दरारों को भरकर छुपाने का भी प्रयास किया गया है। इन तमाम दृश्य से यह साफ हो रहा है कि भवन निर्माण में घोर अनियमितता हुई है। आसपास के लोग बताते है कि कमीशनखोरी और सरकारी पैसे के बंदरबांट के चलते बिल्डिंग निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। जिसकी वजह से बिल्डिंग में दारारे आ गयी है। आदित्यपुर रेलवे स्टेशन में वर्तमान में विकास का काम चल रहा है। भवनों के फट जाने का मुख्य वजह बताया जा रहा है कि भवन में घटिया ईंट का इस्तेमाल किया गया है। इन भवनों का काम बड़ी बड़ी कंपनियों को मिला है, लेकिन इन कंपनियों ने लोकल कांट्रेक्टर से काम करवाया है, जिसकी वजह से बिल्डिंग के निर्माण के बाद ही दरार झलक दे रही है।
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