उदित वाणी,जमशेदपुर: टाटा मोटर्स में 700 से अधिक रजिस्टर्ड वार्ड तीन साल से नियोजन को लेकर आस लगाए बैठे हैं. तीन साल हो गए परंतु अभी तक टीएमएसटी (टाटा मोटर्स स्किल ट्रेनिंग) की बहाली नहीं हुई है.
उल्लेखनीय है कि टाटा मोटर्स में निबंधित पुत्र और पुत्रियों सहित दामाद को नौकरी मिलती थी. पहले उन्हें सीधे बाई सिक्स में नियोजित किया जाता था, बाद में प्रबंधन और यूनियन ने मिलकर डायरेक्ट अस्थायी कर्मियों की जगह टीएमएसटी (टाटा मोटर्स स्किल ट्रेंनग) के जरिए नियोजन देने लगी.
प्रबंधन और यूनियन ने एक योजना बनाई थी, जिसके तहत आश्रितों को तीन साल की ट्रेनिंग दी जाती है. इसके बाद अस्थाई मजदूर के रूप में उन्हें नियुक्त किया जाता है. लेकिन यह प्रक्रिया विगत तीन सालों से बंद है. वर्तमान समय में शहर के अधिकांश कंपनियों में निबंधित श्रमिक पुत्र-पुत्रियों को नौकरी दी जाती है.
2021 में हुई थी टीएमएसटी की बहाली 2021 में टीएमएसटी की वेकेंसी निकली थी. 500 से अधिक आश्रितों ने परीक्षा दी थीस लेकिन 115 आश्रितों का ही चयन हो पाया था. सेवानिवृत्त कर्मचारियों में रोष रिटायर कर्मचारी आरके करूआ का कहना है कि वह अपनी पुत्री को टाटा मोटर्स में निबंधन कराए आए हुए हैं, परंतु पिछली परीक्षा में उसका चयन नहीं हो पाया.
राम प्रसाद शर्मा ने कहा कि मैंने बेटे को परीक्षा दिलाई थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया. पी चटर्जी, सुभाष कुमार सिन्हा, आनंद हेब्रम, रमेश कुमार और आरपी सिंह सहित कई सेवानिवृत्त मजदूरों के बच्चों का भी चयन नहीं हो पाया.
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