उदित वाणी, जमशेदपुर: भारतीय धातु संस्थान, जमशेदपुर चैप्टर द्वारा टाटा स्टील लिमिटेड, सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल), और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर के सहयोग से संक्षारण और कोटिंग्स (i3C-2025) पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया. यह आयोजन 6-7 फरवरी, 2025 को होटल विवांता, जमशेदपुर में हुआ.
सम्मेलन का भव्य उद्घाटन
इस सम्मेलन का उद्घाटन सीएसआईआर-एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी ने किया. विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) के कार्यकारी निदेशक ए. के. मनोहर उपस्थित रहे. इस अवसर पर आईआईएम जमशेदपुर चैप्टर के अध्यक्ष और धातुकर्म एवं सामग्री इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डॉ. अशोक कुमार, i3C-2025 के अध्यक्ष डॉ. रघुवीर सिंह, संयोजक डॉ. तपन राउत सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे.
सम्मेलन में सुधांशु पाठक (पूर्व उपाध्यक्ष, टाटा स्टील), डॉ. रामानुज नारायण (निदेशक, सीएसआईआर-आईएमएमटी), प्रवीण थम्पी (मुख्य सीआरएम, कोल्ड रोलिंग मिल, टीएसके), अतुल श्रीवास्तव (उपाध्यक्ष, वुलस्पन ग्रुप), डॉ. ए.एन. भगत, डॉ. एस. तरफदार सहित कई विशेषज्ञों ने भाग लिया.
तकनीकी सत्रों में नवाचार और चुनौतियों पर चर्चा
i3C-2025 के अध्यक्ष डॉ. रघुवीर सिंह ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया और दो दिवसीय सम्मेलन की कार्ययोजना पर प्रकाश डाला. इस सम्मेलन में चार पूर्ण व्याख्यान, 15 मुख्य व्याख्यान, 40 सहायक व्याख्यान, 15 से अधिक पोस्टर प्रस्तुतियां और तकनीकी स्टॉल शामिल थे.
आईआईएम जमशेदपुर चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने आईआईएम की वार्षिक गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संक्षारण और कोटिंग्स पर यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन वैज्ञानिक व औद्योगिक जगत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
संक्षारण से होने वाले नुकसान और समाधान पर विचार
मुख्य अतिथि डॉ. संदीप घोष चौधरी ने बताया कि संक्षारण एक मूक दुश्मन है, जिसके कारण हर वर्ष भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2-3% तक नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि स्टील संरचनाओं को संक्षारण से बचाने के लिए वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और उद्योग जगत को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है.
एनटीपीसी, नई दिल्ली के कार्यकारी निदेशक ए. के. मनोहर ने संक्षारण की समस्या पर गहराई से प्रकाश डालते हुए कहा कि संक्षारण विद्युत संयंत्रों की संरचना को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है. उन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों से सुरक्षा कोटिंग्स पर अधिक शोध करने की अपील की.
सम्मेलन के संयोजक का आभार प्रदर्शन
टाटा स्टील लिमिटेड के सरफेस इंजीनियरिंग रिसर्च ग्रुप, आरएंडडी के प्रधान वैज्ञानिक और i3C-2025 के संयोजक डॉ. तपन कुमार राउत ने सभी अतिथियों, प्रायोजकों, वक्ताओं और प्रतिनिधियों को धन्यवाद दिया. उन्होंने इस सम्मेलन को विचारों के आदान-प्रदान और नवीन तकनीकों की चर्चा का अनूठा मंच बताया.
वैश्विक भागीदारी और संस्थानों की उपस्थिति
इस सम्मेलन में भारत सहित ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और अमेरिका के 34 प्रतिष्ठित संस्थानों के 100 से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया. प्रतिभागी संस्थानों में आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी कानपुर, आईएससी बैंगलोर, आईआईसीटी हैदराबाद, जिंदल स्टील एंड पावर, आरएमआईटी यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया, आईजेडए नीदरलैंड, कॉमसोल स्विट्जरलैंड, मैटेरियल्स डिजाइन यूएसए शामिल रहे.
इस सम्मेलन को टाटा स्टील, इलेक्ट्रोथर्म, ग्रोवेल, निप्पॉन पार्कराइजिंग, क्वेकर, हेन्केल, कॉमसोल, जीटीजेड, शिमादजु, फ्लोचर, ग्रीमोवोक, बायोमाटीक्यू, प्रोक्वेस्ट, श्रोंडिंगर, वाटर्स, पारट, मोनोपोल, टाटा ब्लूस्कोप, आईआरटेक, एक्सपोसोम, लैबगार्ड और यूनिवर्सल पेंट्स जैसे प्रमुख उद्योग संगठनों का समर्थन प्राप्त हुआ.
संक्षारण और कोटिंग्स के भविष्य पर चर्चा
सम्मेलन के दौरान तेल एवं गैस, रसायन, परमाणु और ताप विद्युत संयंत्रों, निर्माण और गतिशीलता उद्योगों में कोटिंग्स एवं उच्च तापमान संक्षारण पर विस्तार से चर्चा की गई. इसके अलावा, संक्षारण निगरानी, लेखा परीक्षा, विफलता विश्लेषण, रोकथाम, मॉडलिंग और भविष्यवाणी से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को भी सम्मिलित किया गया.
यह सम्मेलन वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, शिक्षाविदों और उद्योग विशेषज्ञों को संक्षारण और कोटिंग्स से जुड़ी चुनौतियों और संभावित समाधानों पर चर्चा के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान करता है.
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