- अपने प्रशिक्षण काल में पूर्वी सिंहभूम जिला में कार्य करने का अनुभव भी है
उदित वाणी, जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले के उपायुक्त आईएएस अनन्य मित्तल ने इस जिले में अपना एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. इन एक वर्षों में उन्होंने बतौर उपायुक्त कई उपलब्धियों को भी हासिल कर लिया है. मसलन चुनाव संचालन के लिए हाल ही में उन्हें राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार पप्राप्त हुआ.
चूंकि इस जिले से पूर्व अनन्य मित्तल नजदीकी जिला पश्चिमी सिंहभूम में उपायुक्त के पद पर रह चुके हैं और अपने प्रशिक्षण काल में वर्तमान जिला में कार्य करने का अनुभव भी है, इसलिए उनके यहां काम करने की शैली ज़्यादा साधी हुई रही. किसी भी उपायुक्त के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का समय आम निर्वाचन होता है, जिसमें इन्होने इस जिला में अपने एक साल के कार्यकाल में लोकसभा एवं विधानसभा के निर्वाचन में जिला निर्वाचन पदाधिकारी रहते हुए अपने कार्यशैली से इस तरह प्रभावित किया कि यहां मत प्रतिशत बढ़ने के साथ ही हर वर्ग की चुनाव में सहभागिता की दर बढ़ी, जिसका प्रतिफल अनन्य मित्तल को राष्ट्रपति द्वारा चुनाव कार्य के लिए मिला सम्मान है. मृदभाषी अनन्य मित्तल जहां बहुत कम बोलते हैं, वहीं आम लोगों की बात सुनने को ज्यादा महत्व देते हैं, जिससे आमजन की समस्याओं का त्वरित निष्पादन कर पाते हैं. इस क्रम में बिना किसी भीड़भाड़ के जिला के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में नियमित अपनी उपस्थिति दर्ज कर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं राज्य के ग्रामीण विकास की परियोजनाओं की प्रत्यक्ष निगरानी करते हैँ.
अनन्य मित्तल ने अपने प्रशिक्षण काल में 2016-17 के बीच वर्तमान जिले के प्रत्येक स्तर पर विभागीय कार्य को देखा समझा. प्रशिक्षण पूरा होते ही पहला पदस्थापन अनुमंडल दण्डाधिकारी के रूप में धनबाद में हुआ, उसके बाद उप विकास आयुक्त के महत्वपूर्ण पद पर सिमडेगा एवं रांची में इऩ्होने अपनी बेहतरीन कार्यशैली से प्रभावित किया. उपायुक्त के रूप में पहला पदस्थापन पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त के रूप में हुआ, जहां इन्होने अपनी कार्यशैली से छाप छोड़ा, जिसका परिणाम हुआ कि इनके अन्दर की क्षमता को देखते हुए इन्हें पूर्वी सिंहभूम जैसा महत्वपूर्ण जिला प्राप्त हुआ, जिसमें पिछले एक वर्ष से ये लगभग हर क्षेत्र में एक नयी ऊंचाई को प्राप्त कर जिला को विकास के रास्ते पर आगे ले जा रहे हैं.
पूर्वी सिंहभूम जिले में चुनौती भी और अवसर भी :
आज भी देश में जब पदाधिकारी की बात आती है तो सबसे महत्वपूर्ण और समग्र भूमिका निभाने वाले पदाधिकारी के रूप में भारतीय प्रशासनिक पदाधिकारी एवं उनके उपायुक्त पद पर आसीन होने को ही समझा जाता है. एक उपायुक्त जो कि किसी भी जिले के सबसे निचले पायदान के कार्यों को उत्कृष्टता में बदलने से लेकर जिला के विकास की समग्र रूपरेखा को तैयार कर उस जिले को राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाते हैं. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला को किसी भी उपायुक्त के कार्यकाल को एक कड़ी परीक्षा के तौर पर तो देखा ही जाता है, साथ ही एक उर्वरा भूमि के रूप में भी जाना जाता है, जहां जुझारूपन से काम करने वाले उपायुक्त चमचमाती शहरी सड़कों से लेकर बीहड़, सुदूर इलाकों में भी अपना रास्ता बना लेते हैं. इन दिनों ऐसे ही उपायुक्त के रूप में वर्तमान में अनन्य मित्तल की पहचान बनी है.
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