सीएम ने रखा पक्ष, मामले में 29 को होगी अगली सुनवाई
उदित वाणी, रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के माइनिंग लीज आवंटन व उनके करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश के मामले में दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई हुई. खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान शेल कंपनियों में निवेश के मामले में मुख्यमंत्री के भाई विधायक बसंत सोरेन व झामुमो के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल को नोटिस जारी किया है और मामले में एफिडेविट के जरिये अपना पक्ष रखने का आदेश दिया गया है.
इस मामले में अब 29 जुलाई को अगली सुनवाई होगी. वहीं खंडपीठ ने मामले में सुनवाई के दौरान ईडी के अधिवक्ता एस वी राजू से पूछा कि क्या उनकी ओर से मनरेगा घोटाले में चार्जशीट दाखिल की गई है. इस पर ईडी के अधिवक्ता ने कहा कि निचली अदालत में अभियोजन कंप्लेंट फाइल किया गया है. इसके बाद अदालत ने उक्त दस्तावेज को खंडपीठ के रिकॉर्ड में लाने का निर्देश दिया है.
वहीं शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व सरकार की ओर से अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा गया. जबकि मामले में पिछली सुनवाई के दौरान ही प्रार्थी की ओर से बहस पूरी कर ली गई थी. गौरतलब है कि प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से हाईकोर्ट में दो जनहित याचिका दायर करके आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व उनके भाई बसंत सोरेन के करीबियों ने अवैध कमाई की राशि शेल कंपनियों में निवेश किया है और इसकी जांच सीबीआइ से कराई जाय.
वहीं दूसरे मामले में हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते पत्थर खनन लीज आवंटित कराने का आरोप लगाया गया है और मामले को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बताते हुए हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद्य करने की मांग की गई है. वहीं शेल कंपनियों के मामले में दायर की गई याचिका से खंडपीठ ने पांच प्रतिवादियों रमेश केजरीवाल, राजीव अग्रवाल, निधि अग्रवाल, प्रेमनाथ माली व रंजन साहू का नाम हटाने का निर्देश दिया है.
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