उदित वाणी, चांडिल: माकुलाकोचा स्थित दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के संग्रहालय परिसर में शुक्रवार को वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा विशु शिकार के मद्देनज़र एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. बैठक में दलमा पूर्वी आरएफओ अर्पणा चंद्रा, पश्चिमी आरएफओ दिनेश चंद्रा तथा 28 ईको विकास समिति के अध्यक्ष शामिल हुए.
रूढ़ियों पर चोट: संरक्षण के लिए नई सोच जरूरी
आरएफओ अर्पणा चंद्रा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वन्य जीवन को संरक्षित रखने के लिए पारंपरिक, लेकिन हानिकारक शिकार परंपराओं में बदलाव लाना अनिवार्य हो गया है. उन्होंने चिंता जताई कि वन्य प्राणियों की संख्या तेजी से घट रही है और जो कुछ शेष हैं, वे भी इन प्रथाओं के कारण संकट में हैं.
विशु शिकार को लेकर सख्त चेतावनी
आरएफओ ने चेतावनी दी कि जो व्यक्ति विशु पर्व के नाम पर गैर-पारंपरिक हथियारों और जाल-फांस के साथ जंगल में प्रवेश करेंगे और यदि उन्हें जानवरों का शिकार करते हुए पकड़ा गया, तो उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
जन-जागरूकता और टीम तैनाती से सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध
वन विभाग ने विशु शिकार के दौरान जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 1 मई से 18 सदस्यों की विशेष टीम को जंगलों में तैनात कर दिया है. इन टीमों का कार्य लगातार निगरानी रखना और शिकार की किसी भी गतिविधि को रोकना है.
समितियों से सहयोग की अपील
अर्पणा चंद्रा ने सभी समिति अध्यक्षों और सदस्यों से अपील की कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों को वन्य प्राणियों के शिकार से रोकने के लिए जागरूक करें. उन्होंने कहा कि परंपराएं तब तक ही सार्थक हैं, जब तक वे जीवन का संरक्षण करती हैं, न कि उसका अंत करती हैं.
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