जिला परिषद सदस्य डॉ. परितोष सिंह के नेतृत्व में पांच प्रमुख समस्याओं के प्रति उपायुक्त का ध्यान आकृष्ट कराया
उदित वाणी, जमशेदपुर: नवनिर्वाचित जिला परिषद सदस्य डॉ परितोष सिंह के नेतृत्व में गोविंदपुर के लोगों ने उपायुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा और गोविंदपुर की पांच ज्वलंत समस्याओं के प्रति उपायुक्त का ध्यान आकृष्ट कराया. डॉ परितोष ने कहा कि गोविंदपुर के विभिन्न क्षेत्रों में कुड़े कचरे का अंबार लगा हुआ है. कचरा उठाने के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं हैै.
पहले टाटा मोटर्स द्वारा साफ सफाई का काम हुआ करता था जिसे कंपनी ने बंद कर दिया है. गोविंदपुर पांच बड़ी कंपनियों से घिरा है लेकिन किसी के द्वारा भी यहां नागरिक सुविधाएं मुहैया नहीं करायी जाती हैं. कंपनियां यहां सामाजिक दायित्व का निर्वहन नहीं कर रही हैं.
इस अवसर पर मुख्य रूप से पूर्वी छोटा गोविंदपुर की मुखिया राखी सिंह सरदार, वरिष्ठ समाजसेवी बीडी राय, आरडी राय, शंभू शरण, शैलेश कुमार, आशुतोष सिंह, संजय सिंह, मनीष सिंह, जयदीप कुमार, अजीत सिंह, प्रशांत चौधरी, रुद्र प्रताप सिंह, भोला कुमार, सुनील कुमार, कमलेश कुमार, प्रशांत चौधरी, विजय कुमार, कमलेश कुमार, मिंटू हेम्ब्रम, जयदीप कुमार, अरुण कुमार, दिनेश सिंह आदि उपस्थित थे.
गोविंदपुर जलापूर्ति योजना अधर में
छोटा गोविंदपुर- बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत 22 पंचायतों के 22000 घरों में 237 करोड़ की लागत से वल्र्ड बैंक के सहयोग से जलापूर्ति की जानी है. इसका शिलान्यास जुलाई 2015 में किया गया था, जिसे 2018 में पूरा करने का लक्ष्य था. मगर 7 वर्षों के बाद भी योजना अपूर्ण है. बार-बार विरोध प्रदर्शन के पश्चात विभाग के द्वारा वर्तमान ठेका कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर नई एजेंसी का तलाश की जा रही है.
अन्ना चौक से एनएच 33 को जोडऩे वाली सड़क अधूरी
गोविंदपुर अन्ना चौक से पीपला एन एच -33 को जोडऩे वाली 10.5 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य लगभग 62 करोड़ रुपये की लागत से 2018 में प्रारंभ हुआ. मगर अभी तक सड़क का निर्माण अधूरा है. यह बड़ा गोविंदपुर, खैरबनी, आसनबनी, जादूगोड़ा जैसे ग्रामीण इलाकों के लगभग दो लाख आबादी को जोडऩे वाली एक मात्रसड़क है.
सीवरेज सिस्टम का बुरा हाल
गोविंदपुर हाउसिंग कॉलोनी का निर्माण लगभग 60 वर्ष पूर्व हुआ था. यहां सिंगल क्वार्टर, डबल क्वार्टर, डबल स्टोरी, एलआइजी, तीन तल्ला मिलाकर हाउसिंग के सगभग 2500 घर हैं. इनकी सीवरेज ड्रेनेज व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है. मल-मूत्र खुली नालियों में बहाया जा रहा है.
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