उदित वाणी, जमशेदपुर : सृजन-संवाद 119वीं गोष्ठी ‘कला यात्रा’ पर केंद्रित रही. दिल्ली से सेरेमिक कलाकार सीरज सक्सेना ने अपनी कला यात्रा साझा की. डॉ. विजय शर्मा ने वक्ताओं, टिप्पणीकारों और श्रोताओं-दर्शकों का स्वागत किया. सीरज सक्सेना ने बचपन में परिवार की महिलाओं खासकर अपनी माँ के घरेलू कामकाज से कलात्मक रूचि प्राप्त की.
माँ के साथ आटा गूँथते, रोटी बेलते, पूरी तलते, गुजिया बनाते उनके भीतर कला का प्रस्फ़ुटन हुआ. उन्होंने बताया कि थोड़ा बड़ा होने पर उन्होंने इंदौर से कला की विधिवत शिक्षा ली और जापानी कलाकार ईदा सोईची के आमंत्रण पर जापान गए. भारतीय संस्कृति में रचे-बसे सीरज की कलाकृतियाँ विश्व के विभिन्न देशों में प्रदर्शित हैं.
पूरी दुनिया में उनकी एकल व सामूहिक प्रदर्शनियां आयोजित होती रही हैं. हर्बल तथा इनडोर प्लांट्स के लिए समर्पित दिल्ली यूनिवर्सिटी की पोलिटिकल साइंस की प्राध्यापिका इलाभूषण जैन ने कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग की तथा कार्यक्रम का संचालन किया. लखनऊ की डॉ. मंजुला मुरारी ने सीरज सक्सेना के वक्तव्य पर टिप्पणी करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया.
वर्चुअल गोष्ठी में जमशेदपुर से गीता दुबे, आभा विश्वकर्मा, राँची से डॉ. कनक ऋद्धि, दिल्ली से डॉ. इलाभूषण जैन, डॉ. प्रज्ञा पांडेय, ओमा शर्मा, सुधीर नाइब, स्नेहल सिन्हा, राज ठाकुर, तेजस शाह, दिवाकर जोशी, गौरव शाह, धनन्जय कुमार द्विवेदी, लखनऊ से डॉ. मंजुला मुरारी, डॉ. राकेश पांडेय, बैंगलोर से पत्रकार अनघा, गुजरात से उमा सिंह ‘किसलय’, राँची से वैभवमणि त्रिपाठी, डॉ. क्षमा त्रिपाठी आदि बहुत सारे दर्शक जुड़े.
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