उदित वाणी, जमशेदपुर: 15 दिसंबर 2024 को महा सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य ठेका मजदूरी, साफ-सफाई, एवं सेनिटेशन के क्षेत्र में असंगठित मजदूरों पर हो रहे शोषण और उनके अधिकारों के प्रति संघर्ष को एकजुट करना है. यह सम्मेलन धातकीडीह मुखी बस्ती स्थित ठक्कर बप्पा हॉल में सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक आयोजित होगा.
श्रम कानूनों में बदलाव और मजदूरों पर असर
10 साल पहले, श्रम कानूनों और कारखाना अधिनियम के तहत ठेका और असंगठित मजदूरों को अपने अधिकार प्राप्त थे. लेकिन जब रघुवर दास मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने इंस्पेक्टर राज समाप्त कर दिया. इसके बाद, धीरे-धीरे मजदूरों के कानूनी अधिकारों की रक्षा कमजोर हो गई. श्रम विभाग और कारखाना निरीक्षकों का काम बेज़ा हुआ और मजदूरों के लिए अपने अधिकारों की प्राप्ति में समस्या पैदा हुई. इसने ठेका मजदूरी को बढ़ावा दिया, जहां काम करने के बदले मजदूरों को कम वेतन और कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा.
कभी 8 घंटे की ड्यूटी का समय अब बढ़कर 12 घंटे हो गया. ओवरटाइम का वेतन मिलना बंद हो गया, और छटनी के समय मजदूरों को ग्रेच्युटी या मुआवजा मिलने में कठिनाई होने लगी. श्रमिकों द्वारा अपने कानूनी अधिकारों की मांग करने पर उन्हें काम से निकाल दिया जाता है.
संगठनों की प्रतिबद्धता
1979 में पटना त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से ठेका मजदूरों को स्थायी कार्यों से वंचित किया गया था, लेकिन आज भी ठेका मजदूरी की गैरकानूनी प्रणाली जारी है. केंद्र सरकार द्वारा चार श्रम कोडों के प्रस्ताव से यह स्पष्ट होता है कि सरकार श्रमिकों को फिर से गुलाम बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है.
आंदोलन की तैयारी
इन सभी मुद्दों पर और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ, 15 दिसंबर को आयोजित सम्मेलन में श्रमिक संगठनों के प्रमुख नेताओं का आह्वान किया जाएगा. इसमें एटक झारखंड राज्य कमेटी के महासचिव कामरेड अशोक यादव के अलावा एटक के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड अमरजीत कौर की भी उपस्थिति की संभावना है. सम्मेलन में विभिन्न श्रमिक संघों के नेता और कार्यकर्ता एकजुट होकर आगामी संघर्ष की रणनीति पर विचार करेंगे.
मुख्य उपस्थित लोग
इस प्रेस वार्ता में यूनियन के महासचिव कामरेड सपन कुमार घोषाल, सचिव रमेश मुखी, भरत बहादुर, करन हेंब्रम, नरसिंह राव, एस प्रमाणिक, रामदास करूवा, राजू मुखी, प्रभाकर, मरियम टोपनो, मोतिलाल जातराम सहित कई अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे.
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