उदित वाणी, जमशेदपुर: सीआईआई झारखंड के अध्यक्ष और हाइको इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक तापस साहू ने
कहा कि कंपनियों को रोजगार मॉडल की समीक्षा करने, नीतियों और प्रक्रियाओं को बदलने, कर्मचारियों के वेतन ढांचे की समीक्षा करने और वित्तीय प्रभाव का निर्धारण करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि भारत के 50 करोड़ श्रमिकों में से 90 फीसदी से अधिक असंगठित क्षेत्र में हैं और इन नए लेबर कोड के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उन सभी को न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा से संबंधित श्रम कानूनों का लाभ मिले. वे शुक्रवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के झारखंड चैप्टर की ओर से आयोजित नये श्रम कानूनों के उद्योगों पर होनेवाले असर को लेकर एक कार्यशाला में बोल रहे थे.
सेंटर फॉर एक्सीलेंस बिष्टुपुर में आयोजित इस कार्यशाला में केन्द्र सरकार की ओर से हाल में लागू किए चार लेबर कोड (श्रम संहिता) पर चर्चा की गई. जमशेदपुर के उप श्रम आयुक्त (डीएलसी) राजेश प्रसाद ने प्रतिभागियों को श्रम संहिता में प्रस्तावित परिवर्तनों के बारे में बताया कि यह उद्योग को कैसे प्रभावित करेगा.
प्रसाद ने झारखंड के संबंध में वेतन संहिता और औद्योगिक संबंध संहिता पर प्रस्तावित परिवर्तनों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी, नए कोड से संबंधित प्रश्नों और शंकाओं का समाधान भी प्रसाद ने किया. उन्होंने बताया कि श्रम मंत्रालय ने 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में समेकित किया है – मजदूरी पर कोड, सामाजिक सुरक्षा कोड, औद्योगिक संबंध कोड और व्यावसायिक, सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति कोड.
कार्यशाला की संयोजक शिल्पी शिवांगी ने सत्र के दौरान थीम एड्रेस दिया और प्रतिभागियों को कार्यशाला के आयोजन की आवश्यकता पर जोर दिया. सीआईआई झारखंड की सह संयोजक आर संतोषी ने इन कानूनों के बारे में अद्यतन जानकारी दी. कार्यशाला में 60 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
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