- शहर के विभिन्न चर्च में किए खास आयोजन
- ईसाई समुदाय के लोगों में उत्साह का माहौल .
उदित वाणी, जमशेदपुर: भाईचारे और सद्भावना के दूत ईसा मसीह का जन्म दिवस क्रिसमस का पर्व लौहनगरी समेत पूरे पूर्वी सिंहभूम जिले में धूमधाम से मनाया गया. जैसे ही मध्यरात्रि में प्रभु यीशु का जन्म हुआ तो समूचा शहर खुशी में डूब गया. गिरजाघरों में मध्यरात्रि बाद ग्रेट यीशु कम्स और टूथ इज विक्ट्री जैसे गीतों पर यीशु के अनुयायी खुशी में खूब झूमे. सुबह से ही प्रार्थना के लिए लोगों का गिरजाघरों में आना शुरू हो गया और एक दूसरे को केक खिलाकर बधाई दी.
ईसाई धर्मावलंबियों ने प्रभु यीशु का जन्मदिन बड़े ही उत्साह के साथ मनाया.क्रिसमस पर्व को लेकर ईसाई समुदाय के लोगों में उत्साह का माहौल रहा। बाजारों में गहमागहमी रही. लोगों ने अपने प्रियजनों को आकर्षक उपहार देकर एक-दूसरे को बधाई दी. फेसबुक, वाट्सएप, ट्वीटर, मोबाइल आदि के माध्यम से भी अपने प्रियजनों को क्रिसमस की शुभकामनाएं देने का सिलसिला चलता रहा. अनेक स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए.
क्रिसमस पर शहर के सभी प्रमुख गिरजाघरों में उत्साह के साथ प्रभु यीशु का जन्मदिन मनाया गया. लोगों ने एक-दूसरे को क्रिसमस की बधाई दी. इस दौरान गोलमुरी स्थित जमशेदपुर धर्मप्रांत मुख्यालय संत जोसेफ महागिरजाघर में विभिन्न धार्मिक आयोजन हुए.
संतजोसेफ चर्च गोलमुरी: गोलमुरी स्थित संत जोसेफ चर्च में भी क्रिसमस की धूम रही. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग चर्च पहुंचे और प्रभु यीशु के दर्शन किये. चर्च में प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया जहां लोगों ने प्रभु से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा. यहां का मुख्य आकर्षण क्रिसमस गीत रहा. सांता के साथ बच्चों ने मस्ती की। यहां सुबह में मिस्सा बलिदान हुआ. इस दौरान देशवासियों के लिए सुख, शांति भाईचारा के लिए प्रार्थना भी की गई. साथ ही श्रद्धालुओं को बाइबिल का उपदेश सुनाया गया. क्रिसमस पर दिनभर चर्च में लोगों की भीड़ लगी रही.
सेंट मेरीज चर्च बिष्टुपुर : क्रिसमस पर बिष्टुपुर स्थित सेंट मेरीज चर्च में प्रभु यीशु के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी. इस दौरान प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया जहां लोगों ने प्रभु यीशु से पूरे विश्व के कल्याण की कामना की. इस दौरान दिनभर चर्च में लोगों की भीड़ रही, जिसमें सभी वर्ग के लोग शामिल हुए. दूसरी ओर बिष्टुपुर थाना क्षेत्र में स्थित लोयोला स्कूल स्थित चर्च में भी रविवार को क्रिसमस की धूम रही. इस दौरान सुबह में प्रार्थना सभा हुई, जिसमें सैकड़ों की संख्या में ईसाई समुदाय के लोग शामिल हुए. कार्यक्रम के दौरान जिंगल बेल-जिंगल बेल जिंगल ऑल बेल जैसे क्रिसमस गीतों पर बच्चे झूमते नजर आए.
इन चर्चों में भी रही धूम : संतजॉर्ज चर्च, बिष्टुपुर, संत रोबर्ट चर्च, मानगो, संत मिखाइल चर्च, मानगो, सेंट्रल जीइएल चर्च, सीतारामडेरा, जीइएल चर्च, सोनारी, लुपिता चर्च, टेल्को आदि.
12 दिनों तक चलता है क्रिसमस का जश्न
25 दिसंबर को पूरी दुनिया में क्रिसमस धूमधाम से मनाया जाता है. क्रिसमस का पर्व ईसाई धर्म के लोगों के लिए बहुत खास है. यह हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था. भारत में अब अन्य धर्मों के लोग भी इस पर्व को धूमधाम से मनाने लगे हैं. इस दिन गिरिजा घरों की रौनक देखने लायक होती है. क्रिसमस पर्व सिर्फ एक-दो दिन नहीं बल्कि 12 दिनों तक मनाया जाता है.आइए जानते हैं हर दिन का महत्व.
पहला दिन (25 दिसबंर): इस दिन को क्रिसमस डे को रूप में मनाया जाता है. इसी दिन से ही क्रिसमस का जश्न शुरू हो जाता है. क्रिसमस पर्व के पहले दिन को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं.
दूसरा दिन (26 दिसंबर): इस दिन को बॉक्सिंग डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को सेंट स्टीफन डे के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि ईसाई धर्म के लिए सबसे पहले कुर्बानी देने वाले व्यक्ति सेंट स्टीफन थे.
तीसरा दिन (27 दिसंबर): क्रिसमस पर्व का तीसरा दिन सेंट जॉन को समर्पित होता है. सेंट जॉन के बारे में कहा जाता है कि वे ईसा मसीह से प्रेरित और उनके मित्र माने जाते हैं.
चौथा दिन (28 दिसंबर): क्रिसमस पर्व के चौथे दिन के बारे में कहा जाता है कि इस दिन किंग हीरोद ने ईसा मसीह को खोजते समय कई मासूम लोगों का कत्ल कर दिया था. उन्हीं मासूम लोगों की याद में इस दिन उनके लिए प्राथना का आयोजन किया जाता है.
पांचवां दिन (29 दिसंबर) : क्रिसमस पर्व के पांचवां दिन सेंट थॉमस को समर्पित होता है. 12वीं सदी में चर्च पर राजा के अधिकार को चुनौती देने पर आज ही के दिन उनका कत्ल कर दिया गया था.
छठा दिन (30 दिसंबर): यह दिन सेंट ईगविन ऑफ वर्सेस्टर को समर्पित होता है. इस दिन ईसाई धर्म के लोग सेंट ईगविन ऑफ वर्सेस्टर को याद करते हैं.
सातवां दिन (31 दिसंबर): इस दिन के बारे में ऐसा कहा जाता है कि पॉप सिलवेस्टर ने इस दिन को मनाया था. कई यूरोपियन देशों में नए साल से पहले की शाम को सिलवेस्टर कहा जाता है. इस दिन खेलकूद आयोजित किए जाते हैं.
आठवां दिन (1 जनवरी): क्रिसमस का आंठवां दिन ईसा मसीह की मां मदर मैरी को समर्पित होता है.
नौवां दिन (2 जनवरी): क्रिसमस पर्व का नौवां दिन, चौथी सदी के सबसे पहले ईसाई सेंट बसिल द ग्रेट और सेंट ग्रेगरी नाजियाजेन को समर्पित होता है. इस दिन उन्हें याद किया जाता है.
10 वां दिन (3 जनवरी): मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ईसा मसीह का नाम रखा गया था. इस दिन चर्च को सजाया जाता है और गीत गाए जाते हैं.
11वां दिन (4 जनवरी): यह दिन 18वीं और 19वीं सदी की संत सेंट एलिजाबेथ को समर्पित है. वे अमेरिका की पहली संत थीं. इस दिन उन्हें याद किया जाता है.
12 वां दिन (5 जनवरी): क्रिसमस पर्व का आखिरी दिन अमेरिका के पहले बिशप सेंट जॉन न्यूमन को समर्पित है.इस दिन को एपीफेनी भी कहा जाता है.
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