उदित वाणी, जमशेदपुर: सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व अत्यधिक पावन और महत्वपूर्ण माना जाता है. यह पर्व वर्ष में चार बार मनाया जाता है, जिनमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि प्रमुख होते हैं. इसके अलावा दो अन्य गुप्त नवरात्रि भी होती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ होता है. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल तक चलेगी. यह पर्व विशेष रूप से देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए समर्पित है.
चैत्र नवरात्रि और कलश स्थापना मुहूर्त 2025
नवरात्रि के पूजा अनुष्ठान में कलश स्थापना एक महत्वपूर्ण क्रिया मानी जाती है. इस दौरान विशेष मुहूर्त में कलश की स्थापना से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है. 2025 में कलश स्थापना के निम्नलिखित मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं:
पहला मुहूर्त: 30 मार्च 2025, सुबह 06:13 बजे से 10:22 बजे तक
दूसरा मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त): 30 मार्च 2025, दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक
इन मुहूर्तों में कलश स्थापना करने से अत्यधिक शुभ फल की प्राप्ति होती है.
कलश स्थापना के नियम और विधियाँ
कलश स्थापना के दौरान कुछ विशेष नियमों और विधियों का पालन करना जरूरी होता है, ताकि पूजा विधिपूर्वक संपन्न हो और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त हो सके.
पूजा स्थल की सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें. शुद्धता से सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है.
अष्टदल बनाना: कलश स्थापना से पहले पूजा स्थल पर अष्टदल बनाना चाहिए, जो 8 पंखुड़ियों वाला रूप होता है और देवी-देवताओं के आशीर्वाद को आकर्षित करता है.
कलश की सामग्री: कलश हमेशा सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी से बना होना चाहिए. इन सामग्रियों से बने कलश अधिक शुभ माने जाते हैं.
कलश की दिशा: कलश को उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है. इस दिशा में कलश रखने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है.
स्वास्तिक और मौली: कलश पर स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए. स्वास्तिक शुभता का प्रतीक है. इसके अलावा, कलश पर मौली लपेटें, फिर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर एक नारियल रखें.
सांप्रदायिक सामग्री: एक पात्र में मिट्टी डालें और उसमें सात प्रकार के अनाज बोएं. ये अनाज समृद्धि और धरती की उर्वरता के प्रतीक माने जाते हैं.
कलश में सामग्री डालना: कलश में लौंग, हल्दी, अक्षत (चिउड़े), सिक्का, इलायची, पान और फूल डालें. ये सभी वस्तुएं समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक मानी जाती हैं.
दीप जलाना: कलश स्थापना के बाद दीपक जलाएं और मां दुर्गा की पूजा अर्चना आरंभ करें. दीपक से वातावरण में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
कलश स्थापना का महत्व
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है. विधिपूर्वक कलश स्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. कलश स्थापना के साथ ही भक्तों को व्रत का संकल्प भी लेना चाहिए और मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.
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