उदित वाणी, जमशेदपुर: केंद्र सरकार की जनविरोधी और कॉर्पोरेट-समर्थक नीतियों के खिलाफ तथा वैकल्पिक नीतियों की मांग को लेकर आज जमशेदपुर में कोल्हान के संयुक्त मंच ने एक जिला स्तरीय प्रदर्शन किया. यह कार्यक्रम 26 नवंबर 2020 के ऐतिहासिक किसान आंदोलन और ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी आम हड़ताल की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया.
ज्ञापन और नुक्कड़ सभा का आयोजन
जमशेदपुर में विभिन्न ट्रेड यूनियनों, किसान संगठनों और कर्मचारी महासंघों के प्रतिनिधियों ने उपायुक्त कार्यालय में भारत की महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा. इसके बाद बिरसा चौक, साकची में एक विशाल नुक्कड़ सभा का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए. सभा में वक्ताओं ने केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना करते हुए अपनी मांगें रखीं.
संयुक्त संघर्ष की आवश्यकता क्यों?
किसान-मजदूर संयुक्त मंच के नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मजदूरों के अधिकार छीनने और किसानों को दिए गए आश्वासनों को नकारने के अपने एजेंडे पर तेजी से काम कर रही है. उनका कहना है कि देश भर के किसान-मजदूर संगठनों ने इन नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज करने का फैसला लिया है.
मुख्य मांगें
सभा में रखे गए ज्ञापन और भाषणों में निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों को उठाया गया:
मजदूरों से संबंधित मांगें:
चार श्रम विरोधी लेबर कोड को रद्द करना.
राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन ₹26,000 और न्यूनतम पेंशन ₹10,000 सुनिश्चित करना.
असंगठित और ठेका श्रमिकों की नौकरी की सुरक्षा, समान काम के लिए समान वेतन, और पुरानी पेंशन योजना बहाल करना.
सभी के लिए रोजगार और रिक्त पदों पर नियुक्तियां.
किसानों की समस्याएं:
कृषि उत्पादों पर वैधानिक एमएसपी सुनिश्चित करना.
बीज, उर्वरक और बिजली पर पर्याप्त सब्सिडी.
ऋण माफी और सभी फसलों के लिए सरकारी बीमा योजना.
अन्य मांगें:
शिक्षा नीति और बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना.
पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स कम करना और मूल्य वृद्धि पर रोक लगाना.
सार्वजनिक निवेश बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना.
स्थानीय समस्याओं का समाधान भी ज़रूरी
सभा में रांची के एचईसी लिमिटेड के पुनरुद्धार, घाटशिला में तांबा संयंत्र और खनन परिचालन की बहाली, तथा हाथियों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए मुआवजा सुनिश्चित करने की भी मांग की गई.
नेताओं की भागीदारी
इस प्रदर्शन और सभा में प्रमुख नेता राकेश्वर पांडे, अंबुज कुमार, विश्वजीत देब, संजीव श्रीवास्तव, केके त्रिपाठी, और अन्य लोगों के नेतृत्व में सैकड़ों सदस्यों ने हिस्सा लिया.
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