उदित वाणी, रांची:: राज्य में अब कुष्ठ पीडि़तों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी. इसके लिए राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को एकीकृत किया गया है. रांची में कुष्ठ रोगियों के लिए एकीकृत मानसिक स्वास्थ्य सेवा विषयक कार्यशाला में शिरकत करने आए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में अवर महानिदेशक अनिल कुमार ने इस आशय की जानकारी दी.
केंद्र सरकार ने झारखंड को कुष्ठ रोगियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य मुहैया कराने के मकसद से प्रायोगिक एकीकृत कार्यक्रम के तहत चुना है. 12 रा’यों के कुष्ठ उन्मूलन विभाग के अधिकारियों ने इस कार्यशाला में हिस्सा लिया.कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘‘हमने झारखंड को दो वजह से चुना. पहला रा’य में कुष्ठ रोग की दर अधिक है और दूसरा रांची स्थित प्रतिष्ठित केंद्रीय मनोरोग संस्थान मौजूद है. धीरे-धीरे इस कार्यक्रम का विस्तार देश के अन्य रा’यों में भी किया जाएगा
झारखंड के एनएलईपी आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय औसत 0.45 प्रतिशत के मुताबिक रा’य में कुछ दर 1.8 प्रतिशत है. इसके मुताबिक रा’य में वर्ष 2021-22 में कुष्ठ के 4025 मामले आए जबकि 2020-21 में यह संख्या &450 थी.कुमार ने कहा कि कुष्ठ का इलाज हो सकता है लेकिन इससे जुड़ी धारणाओं की वजह से मरीजों में अवसाद और व्याकुलता देखने को मिलती है. उन्होंने बताया, ‘‘कुष्ठ के && प्रतिशत मरीज अवसाद से भी ग्रस्त हैं जबकि 19 प्रतिशत में व्याकुलता का भाव है.’’
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।