
उदित वाणी, जमशेदपुर: केन्द्रीय युवा और खेल मंत्रालय और सीआईआई यंग इंडियंस के जमशेदपुर चैप्टर के तत्वावधान में सोमवार को नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी में आयोजित जी-20 सीआईआई यंग इंडियंस का ब्रेन स्ट्रामिंग सेसन आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपने विचार रखें.
नई शिक्षा प्रणाली से लेकर इंडस्ट्री 4.0 के दौर में जॉब क्रिएशन की बात हुई. सेशन का संचालन राजीव शुक्ला ने किया, जबकि कार्यक्रम के आयोजन में नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. पूजा प्रसाद, डॉ.शुभेंदु मुखर्जी, मौसमी रवानी, डॉ.किशोर ओझा, बाबू सुदर्शन और अंकिता कुमारी का योगदान रहा.
ऐसा काम करें कि आने वाली पीढ़ी को बेहतर दुनिया दे सकें-आलम
टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष शहनवाज आलम ने कहा कि इंडस्ट्री 4.0 में इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि जॉब क्रिएशन ऐेसे हो, जो हमारे पर्यावरण का ध्यान रख सके. 30 साल पहले तक उद्योगों का इस बात से कोई खास सरोकार नहीं था कि उसके उत्पादन का असर पर्यावरण पर कैसा हो रहा है. अब कार्बन फूटप्रिंट्स अहम हिस्सा है.
अब कंपनियां सस्टेनेबिलिटी की बात करती है और वह चाहती है कि धरती के संसाधनों को अगली पीढ़ी को भी उसी तरह दे सके, जैसा संसाधन अभी है. आलम सोमवार को नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी में आयोजित जी-20 सीआईआई यंग इंडियंस के ब्रेन स्ट्रामिंग सेसन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि टाटा स्टील का पूरा जोर सस्टेनेबिलिटी और एजाइल वर्किंग पर है.
पहले ओपन हार्ट फर्नेस हुआ करता था, जिससे कार्बन उत्सर्जन ज्यादा होता था. उसके बाद एलडी फर्नेस आया और अब ग्रीन फर्नेस की बात हो रही है. शहनवाज आलम ने केन्द्र सरकार के चार लेबर कोड की बात की और कहा कि श्रम कानून ऐसे हो, जो सामाजिक रूप से श्रमिकों को सुरक्षित रख सके.
उन्होंने बताया कि टाटा वर्कर्स यूनियन ने कैसे श्रम कानूनों को अपने कर्मचारियों के लिए लागू किया है. टाटा ने कई ऐसे श्रमिकों के कल्याण के लिए काम किए, जो बाद में कानून बनें. आलम ने बताया कि देश की आधी आबादी वर्किंग हैं और हर साल इसमें एक करोड़ की आबादी जुड़ जाती है. उन्होंने वुका इकोनोमी की बात की और कहा कि इंडस्ट्री और एकेडमिया के बीच बेहतर सामंजस्य बनाना होगा.
इनोवेटिव होना जरूरी-आलोक कुमार
टाटा स्टील यूआईसीएल के चीफ इन्फॉर्मेशन ऑफिसर आलोक कुमार ने वैश्विक अनिश्चितता के दौर में नौकरी की स्थिति की बात की. उन्होंने न्यू इकोनोमिक, पोलिटिकल और सोशल ऑर्डर की बात की और बताया कि पिछले 50 साल में यह ऑर्डर कैसे विघटित हुआ है. उन्होंने पोलिटिकल ऑर्डर की बात करते हुए कहा कि एक समय दुनिया दो ध्रुवीय (बाई पोलर) थी.
बाद में यूनिपोलर और आज यह मल्टीपोलर हो गई है. चीन के उभार के साथ ही उन्होंने अमेरिका और मध्य पूर्व के राजनीतिक विघटन को बताया. तकनीक विघटन की चर्चा करते हुए कहा कि आज फिजिकल वर्ल्ड से ज्यादा साइबर वर्ल्ड की चुनौतियां ज्यादा हो गई है.
उन्होंने डेटा प्राइवेसी से लेकर चैट जीपीटी की बात की. सामाजिक विघटन में स्टार्ट अप कल्चर के बढ़ने की बात की और कहा कि हमें अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए इनोवेटिव होना जरूरी है.
नई शिक्षा नीति रोजगारपरक है-डॉ.चटर्जी
कोल्हान विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ.सुहिता चटर्जी ने नई शिक्षा नीति की चर्चा की और बताया कि हमारी शिक्षा प्रणाली में क्या कमियां थी, जो नई शिक्षा नीति से दूर की जा सकती है.
डॉ.चटर्जी ने कहा कि किताबी जानकारी से ज्यादा प्रैक्टिकल नॉलेज पर जोर देना होगा, जो नई शिक्षा नीति में दी गई है. नई शिक्षा नीति में वोकेशनल एजुकेशन के साथ ही मल्टी डिसिप्लनरी पर जोर दिया गया है ताकि कोई छात्र अपनी पसंद के विषय की पढ़ाई कर सके. उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति को काफी लचीला बनाया गया है.
आस्था के नाम पर नदियों को गंदा कर रखा है-गौरव आनंद
पर्यावरणविद गौरव आनंद ने कहा कि हम जल, जंगल और जमीन की बात करते हैं लेकिन हमारी नदियां सबसे ज्यादा प्रदूषित है. उन्होंने बताया कि उन्हें नदियों के साथ काम करने का मौका मिला है.
हम नदियों को आस्था के नाम पर गंदा करते हैं. गौरव आनंद ने कहा कि प्रकृति है तो हम है. हमें इसे सुरक्षित रखने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा. नदियों में हम मूर्ति विसर्जन से लेकर कचरे को फेंकते हैं.
नदियों के प्रदूषण के साथ ही मिट्टी और वनों का कटाव एक प्रमुख समस्या है. इसके लिए उन्होंने रिसर्च पर जोर दिया. कहा कि हम ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं जो हमारी नदियों को साफ रख सके.
हॉबी, जिंदगी की स्टेपनी है-डॉ.श्रीकांत नायर
शिक्षाविद और केपीएस के निदेशक डॉ.श्रीकांत नायर ने कहा कि हमें अपनी शिक्षा प्रणाली में बुनियादी बदलाव लाना होगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल किताबों में नहीं मिलती.
शिक्षा जिंदगी से सीखी जाती है. नायर ने कहा कि दुनिया में जितने भी महान लोग हुए हैं, सबके पास कोई न कोई शौक था. जिस तरह गाड़ी में स्टेपनी का होना जरूरी है, उसी तरह जिंदगी में किसी शौक का होना जरूरी है ताकि जब आप कमजोर हो, लो फिल करें तो आप अपनी जिंदगी को आगे बढ़ा सके. उन्होंने विद्यार्थियों को खुद की राह बनाने के लिए प्रेरित किया.
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