उदित वाणी, जमशेदपुर : जिला प्रशासन एवं पिरामल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत पंचायतों को सक्षम बनाने के उद्देश्य से एक दिवसीय मुखिया कार्यशाला का आयोजन कैनेलाइट होटल, साकची में किया गया। इस कार्यशाला में पोटका, मुसाबनी, पटमदा एवं बोड़ाम प्रखंड के मुखियागण ने भाग लिया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण एवं पंचायती राज के अंतर्गत संचालित योजनाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाना और आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कार्ययोजना तैयार करना था।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में उप विकास आयुक्त श्री अनिकेत सचान ने मुखियागण को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पंचायतों के समग्र विकास के लिए मुखियाओं की सक्रिय भूमिका अत्यंत आवश्यक है। कई बार मुखियागण इच्छुक होने के बावजूद जानकारी के अभाव में योजनाओं का सही चयन नहीं कर पाते, जिससे पंचायत क्षेत्र के विकास में बाधा आती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिन लोगों को इन योजनाओं का लाभ मिलना है, उनका जागरूक होना भी आवश्यक है।
पंचायतों के समग्र विकास के लिए मुखियाओं की अहम भूमिका
कार्यशाला के दौरान उप विकास आयुक्त ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना आवश्यक है। उन्होंने मुखियाओं से अपील की कि वे सरकारी योजनाओं के चयन में जिला प्रशासन का सहयोग करें और अपने पंचायत क्षेत्र में मौजूद सरकारी परिसंपत्तियों के संचालन में सक्रिय भूमिका निभाएं। साथ ही, उन्होंने मुखियाओं को सुझाव देने और अपनी पंचायतों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आगे आने को कहा।
कार्यशाला में एसीएमओ डॉ. जोगेश्वर प्रसाद, जिला वी.बी.डी. पदाधिकारी डॉ. ए. मित्रा, जिला योजना पदाधिकारी श्री मृत्युंजय कुमार सहित अन्य अधिकारियों ने भी अपने विचार रखे। वक्ताओं ने पंचायत स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और स्थानीय नेतृत्व की भागीदारी को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि पंचायतों को सशक्त करने में मुखियाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि पंचायत स्तर पर ही कई जनसमस्याओं का समाधान संभव है।
मुखियाओं की समस्याएं सुनी गईं, समाधान के प्रयास किए गए
कार्यशाला के दौरान मुखियाओं ने अपने क्षेत्र की समस्याओं को साझा किया, जिनके समाधान को लेकर जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया। साथ ही, पंचायतों के समग्र विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और पंचायती राज के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
इस कार्यशाला के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया कि जब पंचायतें मजबूत होंगी, तो ग्रामीण क्षेत्रों का विकास तीव्र गति से आगे बढ़ेगा, जिससे स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार आएगा।
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