कलाकारों का उत्साहवर्धन करने में लिए सरकारी पहल की मांग
उदित वाणी, जमशेदपुर: दामपाड़ा रसका रूासका जियाड़ समिति ने पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के मंत्री को ज्ञापन स्लंप कर अमादुबी ग्रामीण पर्यटन केंद्र के विकास तथा उस के नजदीक गांव के पारंपरिक नृत्य दलों को तथा कलाकारों का संरक्षण देने की मांग की है. मंत्री को सौंपे ज्ञापन में समिति ने कहा है कि अमादुबी ग्रामीण पर्यटन केंद्र के नजदीक विभिन्न गांवों में बसे नृत्य दलों और कला कलाकारों के संरक्षण एवं प्रोत्साहन हेतु इस पर्यटन केंद्र की स्थापना सरकार द्वारा 2011-13 में किया गया था.
पर्यटन और कला संस्कृति विभाग के सक्रिय सहयोग से बेहड़ा, पलासबनी, सुंदरडीह, गोग्लो, सरबिला, पनिजिया, अमाडूबी जैसे गाँवों से आदिबासी नृत्य, संगीत, भित्ति चित्र और पयाटकर पेंटिंग कला के कलाकारों को न सिर्फ राजकीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है बल्कि उन्हें सम्मान तथा आर्थिक अनुदान भी प्रदान किया जाता है, जिससे इन कलाकारों का उत्साहवर्धन होता है. उन्वतो के मार्ग दर्शिका के अनुसार इन्तेंजिबल कल्चरल हैरिटेज के संरक्षण के लिए इस प्रकार का ग्रामीण पर्यटन की स्थापना एक आवश्यक पहल थी. इन गांवों में प्रमुख नृत्य रूप जैसे दसाईं, बाहा, सरफा, धोंगेड और डान्ठा नृत्य एवं पयाटकर पेंटिंग क्रमशः विलुप्त होने की कगार पर जा रहे थे. ग्रामीण पर्यटन का स्थापना होने से पर्यटक का आना जाना गांव में बढ़ गया है.
अब प्रमुख नृत्य रूप जैसे दसाईं, बाहा, सरफा, धोंगेड और डान्ठा नृत्य एवं पयाटकर पेंटिंग नियमित रूप से गांव में पर्यटक के सामने तथा दूसरे शहर में दर्शक के सामने प्रस्तुत किया जाता रहा है. पर्यटकों को लुभाने और संतुस्ट करने के लिए तथा गांव के पारंपरिक कला संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिए हम ग्रामें पर्यटन समिति तथा गांव के कलाकरों की और से यह प्रस्ताव दिया गया कि विभाग के द्वारा हर साल टुसू परब और सोहराई-बांधना परब मनाने के लिए अमाडूबी ग्रामीण पर्यटन समिति को एक पूर्व निर्धारित अनुदान (1.5 लाख क्षx 2) का स्वीकृती दे तथा इसका प्रचार प्रसार विभाग के सोशल मीडिया हैंडल में हो .
इन छोटे दल के पास बैंक खाता नहीं है. यह अनुदान दल नेताओं या अमाडूबी ग्रामीण पर्यटन समिति के माध्यम से प्रदान किया जा सकता है. अपील की है कि इन पांच नृत्य दलों को हर दो साल में 20,000 रुपये का कॉस्ट्यूम म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट का अनुदान दिया जाए. यह अनुदान इन दलों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा बनेगा और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने में मदद करेगा. निवेदन किया गया एम कि इन कलाकारों को विभिन्न टूरिज्म मेलों में भेजने की परंपरा को पुनः लागू किया जाए. इससे न केवल झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार होगा, बल्कि बाहरी पर्यटकों को यहाँ की कला देखने का मौका मिलेगा.
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