- धालभूम के एसडीएम से मिले तीन प्रत्याशी, चुनाव संचालन समिति के साथ भी की मीटिंग
- समन्वय बनाकर काम करने का निर्देश, नए सिरे से तय की जाएगी मतदान की तिथि
उदित वाणी, जमशेदपुर: लौहनगरी समेत कोल्हान के तीनों जिलों के गुरुद्वारों की शीर्ष संस्था सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी सीजीपीसी के प्रधान के चुनाव को लेकर उठे विवाद में धालमूम अनुमंडल प्रशासन ने हस्तक्षेप किया है. इसके बाद आठ जनवरी को होनेवाले चुनाव को स्थगित कर दिया गया है. अब आपसी समन्वय बनाकर चुनाव संचालन समिति चुनाव के लिए नई तिथि तय करेगी. इसके साथ ही जिन तीन गुरुद्वारों को मतदाता सूची से बाहर कर देने के बाद विवाद उठा था, उन तीनों गुरुद्वारों के मामले का भी समाधान निकलने की संभावना है. उम्मीग की जा रही है कि १५ जनवरी के आसपास चुनाव की नई तारीख तय की जा सकती है.
जानकारी के अनुसार शुक्रवार सुबह ११ बजे के करीब सीजीपीसी प्रधान पद के चार में से तीन प्रत्याशी हरमिंदर सिंह मिंदी, महेंदर सिंह व हरविंदर सिंह मंटू अपने समर्थकों के साथ एसडीओ कार्यालय पहुंचे. उनकी एसडीओ पीयूष सिन्हा से चुनावी विवाद पर विस्तार से चर्चा हुई. एसडीओ के बताया गया कि किस तरह से चुनाव समिति के पांच में तीन सदस्य एक तरफा निर्णय लेकर प्रत्याशी भगवान सिंह के पक्ष में काम कर रहे हैं. तीनों प्रत्याशियों ने एसडीओ के समक्ष पूरे तथ्यों को रखा और उनसे हस्तक्षेप कर पारदर्शी तरीके से चुनाव करवाने की गुहार लगाई. इसके बाद एसडीओ ने चुनाव संचावन समिति के सभी पांच सदस्यों को अपने कार्यालय में तलब किया. शाम पांच बजे के करीब संचालन समिति के साथ उनकी मीटिंग हुई.
बताया जाता है कि एसडीओ ने चुनाव संचालन समिति से तीन प्रत्याशियों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर पक्ष जाना. साथ ही वे सीजीपीसी की पूरी चुनावी प्रक्रिया से भी अवगत हुए. वोटर लिस्ट विवाद के बारे में भी जानकारी ली. बताया जाता है कि तब तक एसडीओ के समक्ष यह तथ्य उभर चुका था कि चुनाव संचालन समिति के तीन सदस्य एक तरह से एकतरफा निर्णय कर रहे हैं. संचालन समिति के दो सदस्यों तारा सिंह व दलजीत सिंह दल्ली की एक राय है तो गुरुदयाल सिंह व अमरजीत सिंह की राय अलग रहती है. नरेंद्र पाल सिंह भाटिया की तटस्थता का फायदा उठाकर गुरु दयाल सिंह व अमरजीत सिंह ऐसे फैसले ले रहे जो प्रत्याशी भगवान सिंह को छोडक़र बाकी तीन प्रत्याशियों व चुनाव संचालन समिति के दो सदस्यों को भी पच नहीं रहा.
बताया जाता है कि पूरे घटनाक्रम व विवाद की तह तक गहराई में जाने के बाद चुनाव संचालन समिति के एसडीओ की से कहा गया कि आपस में समन्वय बनाकर काम किया जाए. चुनावी प्रक्रिया ऐसी हो कि हर पक्ष इससे खुद को जुड़ा महसूस करे और प्रशासन को सिर्फ कानून व व्यवस्था को ही देखने की जरूरत पड़े.
बताया जाता है कि एसडीओ आफिस से लौटने के बाद चुनाव संचालन समिति से समन्वय बनाने के लिए आठ जनवरी को प्र्स्तावित चुनाव को स्थगति कर दिया. अब अगले दो तीन दिनों में चुनाव की मतदाता सूची को लेकर उठे विवाद का निपटारा कर चुनाव तिथि की घोषणा होने की उम्मीद है. संभावना यही है कि १५ जनवरी या उसके आसपास की किसी तिथि को चुनाव कराने की घोषणा संचालन समिति करेगी.
बताते चलें कि चुनाव समिति ने पहली बार पांचों मेंबरों के हस्ताक्षर युक्त २१८ वोटरों की लिस्ट चारों उम्मीदवारों को सौंप दी थी. उसके बाद चुनाव समिति के सदस्यों में ही विवाद शुरू हो गया. दूसरी बार में तीन सदस्यों ने तीन गुरुद्वारा क्रमश: टिनप्लेट, सीतारामडेरा व सोनारी के १०-१० यानी कुल ३० वोटों को मतदाता सूची से बाहर कर दिया. इसके बाद बनाई गई नई वोटरलिस्ट को तीन उम्मीदवारों हरमिंदर सिंह मिंदी, महेंदर सिंह व हरविंदर सिंह मंटू ने नामंजूर कर दिया. मंटू ने तो चुनाव चिन्ह लेने से भी मना कर दिया. बाद में मिंदी, मंटू व महेंदर सिंह की ओर से एसडीओ से दखल देने की गुहार लगाई गई. चुनाव संचालन समिति के तारा सिंह व दल्ली ने भी विरोध दर्ज कराया. तब जाकर एसडीओ ने हस्तक्षेप कर आपस में समन्वय बनाकर चुनाव कराने कहा. इसके बाद आठ जनवरी को तय चुनाव को स्थगित कर दिया गया. उधर हरमिंदर सिंह मिंदी ने इसे समाज की बहुत बड़ी जीत बताया है. उन्होंने कहा है कि अन्याय पर न्याय की और असत्य पर सत्य की जीत हुई है. मिंदी के अनुसार तीनों प्रत्याशियों से मशविरा कर चुनाव संचालन समिति को मतदान की नई तिथि का ऐलान करना है.
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