इन दी डेविल्स शेडो से चर्चा में आई शर्मिष्ठा, लेखन के साथ कंटेंट राइटिंग भी
उदित वाणी, जमशेदपुर: जमशेदपुर की बेटियां आज देश-विदेश में अपना अलग मुकाम बना रही हैं. कोई फिल्मी दुनिया में नाम कमा रहा तो कोई कला-साहित्य के क्षेत्र में.
ऐसे प्रतिभाओं की लंबी फेहरिस्त है. इस फेहरिस्त में लोयोला स्कूल बिष्टूपुर की एक पूर्व छात्रा का भी नाम अब जुड़ गया है. इनका नाम है शर्मिष्ठा. जमशेदपुर में पली-बढ़ी शमिर्ष्ठा वर्तमान में कोलकाता में रहती हैं और साहित्य की दुनिया में अपनी नई पुस्तक इन द डेविल्स शेडो से सबके दिल जीत रही हैं.
जीवन के उतार चढ़ाव के बीच सकारात्मकता का बोध कराने वाली यह पुस्तक अमेजन पर पाठकों के लिए उपलब्ध है और इसकी मांग भी जबरदस्त है. आज भले शर्मिष्ठा कोलकाता में रह रहीं हों, लेकिन दिल अब भी जमशेदपुर में है. उनके माता-पिता अब भी जमशेदपुर में रहती हैं. शर्मिष्ठा बताती हैं कि यह किताब लिखने की प्रेरणा उन्हें अपने जीवन के उतार-चढ़ावों को देखकर मिली.
कैसे उतार के बाद जीवन में चढ़ाव का दौर आता है, किताब इस बारे में है. उन्होंने बताया कि वक्त कैसा भी हो, उम्र कोई भी हो, इच्छाशक्ति से आप अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. इंसान को खुद खड़ा होने के लिए किसी चीज की जरूरत हो और अगर इंसान ठान ले तो किसी भी स्थिति में वह उठ खड़ा हो सकता है.
शर्मिष्ठा कहती हैं कि अबतक वह दो बंगाली किताबों को अनुवाद कर चुकी हैं और इन द डेविल्स शेडो उनकी पहली किताब है.
अपना बचपन टेल्को में गुजार चुकी शर्मिष्ठा बताती हैं कि लोयोला स्कूल बिष्टूपुर में उन्होंने 1989 से पढाई शुरू की और 1990 के दशक में पासआउट हुईं. इससे पहले वह एलएफएस टेल्को व सेक्रेड हार्ट कान्वेंट स्कूल की भी शिक्षिका रह चुकी हैं.
वर्तमान में शर्मिष्ठा कारपोरेट स्टोरी लिखती हैं और उनका अपना वेंचर है अरुद्रा वेंचर. इसके अलावा शर्मिष्ठा कंटेंट राइटर हैं और पोडकास्ट भी करतीं हैं. इसके साथ-साथ शर्मिष्ठा कोटक महिंद्रा में भी काम करती हैं.
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