उदित वाणी, जमशेदपुर: झारखंड सरकार के पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग अंतर्गत सांस्कृतिक कार्य निदेशालय तथा पथ पीपुल्स एसोसिएशन फॉर थियेटर के संयुक्त तत्वावधान में चल रही 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला के सतरहवें दिन की गतिविधियाँ रंगमंचीय सृजन और भाव-प्रवणता से ओतप्रोत रहीं.
दृश्यरूप में ढले नाट्यलेख
प्रतिभागियों द्वारा लिखे गए नाट्यालेखों को इस दिन मंच पर जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया. यह प्रक्रिया नाट्य लेखन से दृश्य-संयोजन तक की एक सशक्त यात्रा थी. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) से स्नातक और ख्यातिनाम रंगकर्मी जीतराई हांसदा तथा कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक मोहम्मद निज़ाम की सक्रिय उपस्थिति में यह मंचीय रूपांतरण संपन्न हुआ.
गहन प्रशिक्षण और सटीक मार्गदर्शन
प्रशिक्षकों ने प्रतिभागियों को दृश्यांकन की तकनीक, मंचीय संरचना, पात्र निर्माण, संवाद अदायगी और गति-संवेदना जैसे पहलुओं पर गहन प्रशिक्षण दिया. नवोदित कलाकारों ने अत्यंत संजीदगी से अपने लेखों को मंच पर साकार किया. इससे न केवल उनकी रचनात्मक क्षमता सामने आई बल्कि यह भी प्रमाणित हुआ कि योग्य मार्गदर्शन में युवा रंगकर्मी मंचीय उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं.
आलोचना से आत्ममंथन की ओर
कार्यशाला में निरंतर अभ्यास के साथ-साथ आलोचनात्मक मूल्यांकन की प्रक्रिया भी अपनाई जा रही है. इससे प्रतिभागियों को अपनी प्रस्तुतियों में सुधार की स्पष्ट दिशा मिल रही है.
रंगमंच: आत्म-अभिव्यक्ति और सामाजिक संवाद का सेतु
जीतराई हांसदा ने कहा, “यह कार्यशाला केवल प्रशिक्षण का मंच नहीं, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति और सामाजिक संवाद का एक प्रभावी साधन बन चुकी है. प्रतिभागियों में जो ऊर्जा और समर्पण दिखाई दे रहा है, वह सराहनीय है.”
मुख्य प्रशिक्षक मोहम्मद निज़ाम ने कहा, “स्थानीय युवाओं को नाट्यकला की आधारभूत समझ देना और उन्हें मंच पर आत्मविश्वास से प्रस्तुत करना इस कार्यशाला का मूल उद्देश्य है, जिसे हम धीरे-धीरे साकार कर रहे हैं.”
विविध रंगों की गहराई
कार्यशाला में प्रतिदिन थियेटर गेम्स, शारीरिक अभिनय, आवाज़ की ट्रेनिंग, लेखन तथा निर्देशन जैसी विविध विधाओं पर समर्पित अभ्यास कराया जा रहा है. अंतिम चरण में प्रतिभागी एक संपूर्ण नाटक प्रस्तुत करेंगे, जिसमें वे इन सभी सीखी हुई विधाओं का समावेश करेंगे.
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