उदित वाणी, जमशेदपुर: सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, झारखंड सरकार तथा पथ पीपुल्स एसोसिएशन फॉर थियेटर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला जमशेदपुर में पूरे उत्साह के साथ जारी है. कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों के रंगमंचीय कौशल को निखारना और भारतीय सांस्कृतिक विरासत से उन्हें जोड़ना है.
भारतीय लोकनाट्य की विविधता से परिचय
चौदहवें दिन के प्रथम सत्र में वरिष्ठ रंगकर्मी राकेश पांडे ने “भारतीय लोकनाट्य” विषय पर विस्तार से संवाद किया. उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि जैसे-जैसे मानव समाज में संवेदनाओं का विकास हुआ, वैसे-वैसे अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए लोककथाओं और लोकनाटकों की रचना हुई. राकेश पांडे ने नौटंकी (उत्तर प्रदेश), तमाशा (महाराष्ट्र), भागवत मेला (तमिलनाडु), स्वांग (हरियाणा) और यक्षगान (कर्नाटक) जैसी विभिन्न लोकनाट्य शैलियों के उदाहरणों के माध्यम से उनके इतिहास, प्रस्तुति शैली और सामाजिक प्रभाव पर प्रकाश डाला. उनकी प्रेरक प्रस्तुति ने प्रतिभागियों को भारतीय रंगमंच की विविधता और समृद्ध परंपरा से सजीव परिचय कराया.
आदिवासी आंदोलनों और सांस्कृतिक चेतना पर प्रभावशाली चित्रण
द्वितीय सत्र में रांची विश्वविद्यालय के नाटक विभाग के स्नातकोत्तर प्रशिक्षित तथा चर्चित संथाली और हिंदी रंगकर्मी रामचंद्र मार्डी ने प्रतिभागियों को भगवान बिरसा मुंडा के युग में ले जाते हुए आदिवासी आंदोलनों की गाथा सुनाई. उन्होंने बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुए संघर्षों और सांस्कृतिक पुनर्जागरण पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि नाटक कैसे सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम बन सकता है. रामचंद्र मार्डी की प्रस्तुति ने प्रतिभागियों के भीतर समाज के प्रति चेतना और उत्तरदायित्व की भावना को प्रबल किया.
नाट्य गीतों की तैयारी और समाजोत्थान का संदेश
कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक मोहम्मद निज़ाम ने सत्र के समापन पर प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि रंगमंच केवल अभिनय का साधन नहीं, बल्कि समाज में चेतना जगाने और बदलाव लाने का प्रभावी औजार है.
उन्होंने आगामी नाट्य प्रस्तुति के लिए गीतों की तैयारी भी आरंभ कराई, जो कार्यशाला के समापन समारोह में प्रस्तुत किए जाएंगे.
आगामी सत्रों की तैयारियां
आयोजकों ने जानकारी दी कि आगामी सत्रों में अभिनय तकनीक, मंच सज्जा, रंगमंचीय संगीत, संवाद अदायगी और नाट्य प्रस्तुति की बारीकियों पर गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा. कार्यशाला में प्रतिभागियों की सक्रिय सहभागिता और सीखने की ललक स्पष्ट रूप से झलक रही है.
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