उदित वाणी, जमशेदपुर : ‘सृजन-संवाद’ की 121वीं गोष्ठी सेरेमिक कला ‘माई जर्नी इन क्ले’ पर केंद्रित रही. भोपाल के मृदा कलाकार शंपा शाह ने अपनी यात्रा के अनुभव शेयर किए. डॉ. विजय शर्मा ने वक्ताओं, टिप्पणीकारों, श्रोताओं-दर्शकों का स्वागत किया.
अमृता सिन्हा ने सेरेमिक कलाकार शंपा शाह की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनियों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि शंपा शाह न केवल मृदा कलाकार हैं वरन वह एक बहुत सम्मानित लेखिका भी हैं. उन्होंने भारत की विभिन्न कलाओं पर लेख लिखे हैं. वे भारत भवन भोपाल से एक लंबे समय से जुड़ी रही हैं. प्रसिद्ध साहित्यकार रमेशचंद्र शाह तथा ज्योत्स्ना मिलन की बड़ी पुत्री शंपा शाह का बचपन कला, साहित्य और संगीत के परिवेश में पलते हुए बहुत समृद्ध हुआ.
वह विज्ञान की छात्रा रहते हुए सेरेमिक कला से जुड़ी और राह बदल कर सफ़ेद मिट्टी की कलाकारी करने लगीं. अपने बचपन और किशोरावस्था को स्मरण करते हुए उन्होंने अपने कई अनुभव साझा किए. उनका पोटरी प्रशिक्षण प्रसिद्ध कलाकार पी. आर. दारोज़ की देखरेख में हुआ. उनकी टी पॉट सीरिज, भीमटेक सीरिज काफ़ी पसंद की गई है. कोलकता से जयदेव दास ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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