
रांची: पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुवर दास ने झारखंड सरकार पर आदिवासी स्वशासन से जुड़े ‘पेसा कानून’ को लागू नहीं करने का आरोप लगाया है. उन्होंने इसे आदिवासी अधिकारों पर सीधा हमला बताया. भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में रघुवर दास ने कहा कि हेमंत सरकार आदिवासियों को उनके ग्राम स्वशासन के अधिकारों से वंचित कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि झामुमो-कांग्रेस गठबंधन आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराओं पर हमला कर रहा है.
1996 से अब तक इंतजार ही कर रहा है पेसा कानून
दास ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 1996 में ही पेसा कानून अधिसूचित कर दिया था. इसके तहत राज्यों को अनुसूचित क्षेत्रों की परंपराओं के अनुसार नियमावली बनाकर कानून लागू करना था. अधिकांश राज्यों ने इसे अपनाया, लेकिन झारखंड में अब तक यह ज़मीन पर नहीं उतरा है.
बिरसा मुंडा के सपनों को किया गया नजरअंदाज
उन्होंने कहा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, फूलो-झानो जैसे नायकों ने जिस ‘अबुआ राज’ के लिए बलिदान दिया, वह आज का आदिवासी मुख्यमंत्री भी लागू नहीं कर रहा है. नियमावली का प्रारूप वर्षों पहले बन चुका है. इस पर सार्वजनिक बहस भी हो चुकी है और विधि विभाग ने मार्च 2024 में अपनी सहमति दे दी थी.
न्यायपालिका की भी मुहर, फिर भी अधर में कानून
रघुवर दास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत पेसा कानून को वैध ठहराया है. इसके बावजूद सरकार इसे लागू नहीं कर रही.
किसके दबाव में है सरकार?
पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि आखिर 13 जिलों के 112 प्रखंडों में ग्राम स्वराज की व्यवस्था अब तक क्यों नहीं लागू हो सकी? उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन विदेशी धर्मों के प्रभाव में हैं. यदि पेसा कानून लागू हुआ तो पारंपरिक आदिवासी व्यवस्था में बाहरी हस्तक्षेप रुक जाएगा, जिससे विदेशी धर्मावलंबियों की योजनाएं प्रभावित होंगी.
अवैध कारोबार और राजनीतिक सौदेबाज़ी की बात
उन्होंने दावा किया कि यदि पेसा कानून लागू हुआ तो लघु खनिज और बालू घाटों पर पंचायतों को अधिकार मिल जाएगा. इससे पत्थर, बालू, कोयला और शराब के अवैध सिंडिकेट को नुकसान होगा. यही कारण है कि यह कानून अब तक रोका गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इन ताकतों के आगे समर्पण कर दिया है.
आदिवासी धर्मावलंबियों के साथ अन्याय
दास ने इसे सरना धर्म मानने वाले आदिवासियों के साथ सीधा अन्याय करार दिया. उन्होंने कहा कि सरकार को डर है कि अगर विदेशी धर्मावलंबी नाराज हुए तो उसकी कुर्सी चली जाएगी. प्रेस वार्ता में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सुदर्शन भगत भी उपस्थित रहे.
(IANS)
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।