उदित वाणी: हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 का शुभारंभ इस वर्ष 30 मार्च, रविवार को हो रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह नववर्ष सर्वार्थ सिद्धि योग में आरंभ होगा, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे चलने वाला यह संवत्सर भारत की प्राचीन कालगणना पर आधारित है।
हिंदू नववर्ष का समय और तिथि
- इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की तिथि 29 मार्च को शाम 4:27 बजे से शुरू होकर 30 मार्च दोपहर 12:49 बजे तक रहेगी।
- उदयातिथि के आधार पर नववर्ष 30 मार्च को मनाया जाएगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग का महत्व
- विक्रम संवत 2082 की शुरुआत 30 मार्च को शाम 4:35 बजे से 31 मार्च सुबह 6:12 बजे तक रहने वाले सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रही है।
- मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफलता प्राप्त करते हैं, जिससे नववर्ष की शुरुआत अत्यंत मंगलकारी मानी जा रही है।
विक्रम संवत का ऐतिहासिक और खगोलीय महत्व
- विक्रम संवत की स्थापना उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने 58 ईसा पूर्व में की थी।
- यह कैलेंडर सूर्य और चंद्रमा की गति पर आधारित है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर केवल सूर्य गति पर केंद्रित है।
- हिंदू नववर्ष में चैत्र मास से शुरुआत होती है, जो वसंत ऋतु और प्रकृति के नवजीवन का प्रतीक है।
चैत्र मास का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
- चैत्र मास को धार्मिक रूप से संयम और भक्ति का महीना माना जाता है।
- इस महीने में कई प्रमुख त्योहार और व्रत आते हैं।
- यही कारण है कि यह भारत में अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।
भारत में अलग–अलग नामों से मनाया जाता है हिंदू नववर्ष
- महाराष्ट्र – गुड़ी पड़वा
- कश्मीर – नवरेह
- पंजाब – वैशाखी
- आंध्र प्रदेश व कर्नाटक – उगादी
- सिंधी समाज – चेटी चंड
- केरल – विशु
- असम – रोंगाली बिहू
हिंदू नववर्ष और अंग्रेजी नववर्ष में अंतर
- गणना: हिंदू नववर्ष चंद्र–सौर आधारित होता है, जबकि अंग्रेजी नववर्ष केवल सौर आधारित है।
- आरंभ: हिंदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है, जबकि अंग्रेजी नववर्ष 1 जनवरी से।
- महत्व: हिंदू नववर्ष ऋतु परिवर्तन और प्रकृति के नवजीवन का प्रतीक है, जबकि अंग्रेजी नववर्ष केवल कैलेंडर परिवर्तन दर्शाता है।
कैसे शुरू हुआ 1 जनवरी को नया साल मनाने का प्रचलन?
- प्राचीन काल में नववर्ष 21 मार्च (वसंत ऋतु) से मनाया जाता था।
- रोम के सम्राट जूलियस सीजर ने 45 ईसा पूर्व में इसे बदलकर 1 जनवरी कर दिया।
- यह परिवर्तन पूरी तरह खगोलीय आधार पर नहीं, बल्कि एक राजनीतिक निर्णय था।
हिंदू नववर्ष न केवल एक कैलेंडर की शुरुआत है, बल्कि यह ऋतु परिवर्तन, प्रकृति के नवजीवन और भारतीय संस्कृति की प्राचीन परंपराओं का प्रतीक भी है।
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