उदित वाणी, रांची : मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन और केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी किशन रेड्डी की उपस्थिति में राज्य सरकार के उच्च स्तरीय पदाधिकारियों और कोल इंडिया के अधिकारियों के बीच कोयला खनन से जुड़े विभिन्न विषयों पर बैठक हुई. बैठक में खनन, उत्पादन, परिवहन, जमीन अधिग्रहण, विस्थापन, डीएमएफटी फंड और सीएसआर एक्टिविटीज जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई.
खनिज रॉयल्टी का बकाया भुगतान
मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान खनिज रॉयल्टी के 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये के बकाया भुगतान की मांग की. उन्होंने इस संदर्भ में केंद्रीय कोयला मंत्री से जल्द समाधान की दिशा में पहल करने का भरोसा जताया. केंद्रीय मंत्री ने राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ मिलकर बकाया राशि की प्रमाणिकता की जांच करवाने का आदेश दिया.
विस्थापित रैयतों के अधिकारों पर जोर
मुख्यमंत्री ने विस्थापित रैयतों को खनन परियोजनाओं में स्टेक होल्डर बनाने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि केवल मुआवजा और नौकरी देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि विस्थापितों को परियोजनाओं में सक्रिय भागीदार बनाना चाहिए. इससे उनका विश्वास भी प्राप्त होगा और सीएसआर गतिविधियों और डीएमएफटी फंड का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा.
स्थानीय समुदायों की भावनाओं का सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में लोगों का अपनी जमीन से गहरा भावनात्मक जुड़ाव होता है. इसलिए भूमि अधिग्रहण के समय विस्थापितों को केवल मुआवजा और नौकरी से संतुष्ट नहीं किया जा सकता. उन्हें खनन परियोजनाओं में भागीदारी का अवसर मिलना चाहिए, ताकि वे अपनी समस्याओं का समाधान समझ सकें और परियोजना में योगदान दे सकें.
बंद पड़े खदानों की जमीन वापस की जाए
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में कई कोल परियोजनाओं के बाद खनन कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन उन खदानों की जमीन को अभी तक राज्य सरकार को वापस नहीं किया गया है. यह जमीन न तो उपयोग में आ रही है और न ही उसका कोई सदुपयोग किया जा रहा है. बंद खदानों की जमीन को जल्द राज्य सरकार को वापस किया जाना चाहिए.
सीएसआर गतिविधियों का विस्तार
मुख्यमंत्री ने कोल कंपनियों से सीएसआर गतिविधियों के दायरे को बढ़ाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि कोल खनन क्षेत्र के 50 किलोमीटर के दायरे में इन गतिविधियों को लागू किया जाना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिल सके.
पर्यावरणीय नुकसान और स्वास्थ्य समस्याएं
मुख्यमंत्री ने खनन से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान और स्वास्थ्य समस्याओं पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि झरिया में जमीन के नीचे लगी आग और घाटशिला-जादूगोड़ा में यूरेनियम खनन से स्थानीय लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं. इस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है. केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया कि इस मामले में केंद्र सरकार आवश्यक कदम उठाएगी.
मुख्यमंत्री ने दिए कई अहम सुझाव
मुख्यमंत्री ने विभिन्न सुझाव दिए, जिनमें कोल कंपनियों द्वारा स्थायी प्रशिक्षण केंद्र खोलने, महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने, स्थानीय युवाओं को रोजगार देने, माइनिंग टूरिज्म को बढ़ावा देने और कोल इंडिया के मुख्यालय को झारखंड में स्थानांतरित करने की बात शामिल है.
बैठक में राज्य की मुख्य सचिव श्रीमती अलका तिवारी, केंद्रीय कोयला सचिव श्री विक्रम देव, कोल इंडिया के अध्यक्ष श्री पीएम प्रसाद सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
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