मामले में दायर याचिका है मेंटेनेबल, मेरिट पर करें सुनवाई
उदित वाणी, रांची: खनन पटटा व शेल कंपनियों में निवेश के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ा सकती है. मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. इन मामलों को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका को अदालत ने स्वीकार कर लिया और इसे सुनवाई योग्य माना है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एस एन प्रसाद की खंडपीट द्वारा मामले में मेंटेनेबिलिटी के बिंदु पर हेमंत सोरेन व राज्य सरकार की ओर से दी गई दलीलों को खारिज कर दिया गया.
खंडपीठ ने शुक्रवार को आदेश पारित करते हुए कहा कि मामला सुनवाई योग्य है, अब याचिका के मेरिट पर बहस करें. परन्तु राज्य सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने आदेश की कॉपी का अध्ययन करने के लिए 17 जून तक समय देने की मांग की. लेकिन याचिककर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि मामले में जुटाये गए साक्ष्यों को नष्ट करने अथवा छेड़छाड़ करने का प्रयास किया जा सकता है. इसके साथ ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने मामले में सुनवाई शीघ्र शुरू करने का खंडपीठ से आग्रह किया तथा मामले में खंडपीठ ने सुनवाई के लिए 10 जून की तिथि निर्धारित कर दी है.
ज्ञात हो कि इन मामलों में झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर होने के बाद मुख्यमंत्री व राज्य सरकार द्वारा इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करके याचिका को निरस्त करने का आग्रह किेया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हाईकोर्ट को पहले याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई करने का आदेश दिया था. इसके बाद 1 जून को इस मामले में लगभग चार घंटे तक दोनों पक्षों की ओर से बहस सुनने के बाद खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
प्रार्थी शिवशंकर शर्मा याचिका दायर करके हेमंत की सदस्यता रद्य करने व सीबीआई जांच कराने का किया है आग्रह मालूम हो कि प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करके कहा है कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते रांची के निकट अनगड़ा में पत्थर खदान आवंटित कराया. जो ऑफिस ऑफ प्रोफिट के दायरे में आता है. प्रार्थी ने इसके साथ ही अदालत से हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने का आग्रह किया हैं.
इसके अलावा प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने मुख्यमंत्री व उनके करीबियों द्वारा बड़े पैमाने पर शेल कंपनियों के जरिये ब्लैकमनी का निवेश करने का आरोप लगाते हुए भी जनहित याचिका दायर की हैं और मामले में सीबीआई जांच कराने का आदेश देने का आग्रह किया है. इसके अलावा खूंटी में हुए मनरेगा घोटाला को लेकर भी जनहित याचिका दायर करके सीबीआई जांच कराने का आग्रह किया है.
मामले में ईडी निभा रही है बड़ी भूमिका
वहीं इन मामलों में ईडी अहम भूमिका निभा रही ही. ईडी द्वारा कहा गया है कि शेल कंपनियों व मनरेगा घोटाले की जांच में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं. जिसे कोर्ट को सौंपा गया है. जबकि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बिना प्राथमिकी दर्ज किए ईडी जांच व याचिका के मेंटेनेबिलिटी पर सवाल उठाया था. लेकिन अदालत ने पिछली सुनवाई में ही टिप्पणी करते हुए कहा था कि मनरेगा घोटाले में बर्ष 2010 में ही प्राथमिकी दर्ज हुई और पूजा सिंघल की गिरफ्तारी बर्ष 2022 में हुई. इससे पता चलता है कि जांच किस ढंग से चल रही है.
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