उदित वाणी, जमशेदपुर: भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने 2024 के लोकसभा चुनावों के संबंध में महत्वपूर्ण सांख्यिकीय रिपोर्टों का एक विस्तृत सेट जारी किया है. इस रिपोर्ट में 42 प्रमुख रिपोर्टों के साथ चार राज्यों—आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में हुए विधानसभा चुनावों की 14 रिपोर्टें भी शामिल हैं.
उद्देश्य और महत्व
इस पहल का मुख्य उद्देश्य चुनावी प्रणाली में पारदर्शिता और जनता के विश्वास को बढ़ाना है. इससे आयोग को चुनावी डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिल रही है, जिससे आम नागरिक, शोधकर्ता और शिक्षाविद चुनावी आंकड़ों तक आसानी से पहुंच सकते हैं.
डेटा सेट की प्रमुख विशेषताएँ
रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण आंकड़े शामिल हैं, जैसे:
• संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के अनुसार मतदाताओं का विवरण
• मतदान केंद्रों की संख्या और मतदान व्यवहार
• राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त वोट शेयर और लिंग आधारित मतदान पैटर्न
• महिला मतदाताओं की भागीदारी
• राष्ट्रीय और राज्य दलों के चुनाव परिणाम
2024 लोकसभा चुनाव में मतदाता संख्या में वृद्धि
इस बार लोकसभा चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 97,97,51,847 रही, जो 2019 के मुकाबले 7.43 प्रतिशत अधिक है. 2019 में यह आंकड़ा 91,19,50,734 था. इसके साथ ही इस बार कुल 64.64 करोड़ वोट पड़े, जिसमें ईवीएम और पोस्टल बैलेट मिलाकर 64,64,20,869 वोट डाले गए.
नोटा (NOTA) का प्रदर्शन
2024 में नोटा को 63,71,839 वोट मिले, जो कि कुल मतदान का 0.99 प्रतिशत है. यह आंकड़ा 2019 में मिले 1.06 प्रतिशत वोटों के मुकाबले थोड़ा कम है.
पुनर्मतदान का प्रतिशत
2019 में 540 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान हुआ था, जबकि 2024 में केवल 40 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान हुआ, जो कि कुल मतदान केंद्रों का केवल 0.0038 प्रतिशत है. यह दर्शाता है कि चुनावी प्रक्रिया में सुधार हुआ है और ईवीएम की विश्वसनीयता बढ़ी है.
लिंग आधारित मतदान
2024 में महिला मतदाताओं की संख्या 31,27,64,269 रही, जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 32,93,61,948 रही. ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या 13,058 रही, जिनका मतदान प्रतिशत 27.09 प्रतिशत था.
सर्वाधिक और न्यूनतम मतदान प्रतिशत
धुबरी (असम) में सबसे अधिक 92.3 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) में केवल 38.7 प्रतिशत मतदान हुआ.
मतदान केंद्रों की स्थिति
इस बार मतदान केंद्रों की संख्या में वृद्धि देखी गई है. 2024 में 10,52,664 मतदान केंद्र बनाए गए, जो 2019 के मुकाबले 1.42 प्रतिशत अधिक हैं. सर्वाधिक मतदान केंद्र उत्तर प्रदेश रहा जहां 1,62,069 मतदान केंद्र स्थापित किए गए. सबसे कम मतदान केंद्र वाला राज्य/केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप, जहां केवल 55 मतदान केंद्र थे. 2024 में मतदान केंद्रों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि बिहार में हुई, जहां 4739 नए मतदान केंद्र जोड़े गए. इसके बाद पश्चिम बंगाल में 1731 मतदान केंद्रों का इज़ाफा हुआ.
नामांकन प्रक्रिया
2024 में कुल 12,459 नामांकनों में से 8,360 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. मलकाजगिरी (तेलंगाना) में सबसे अधिक 114 नामांकनों के साथ सबसे बड़ा आंकड़ा दर्ज हुआ, जबकि डिब्रूगढ़ (असम) में केवल 3 नामांकनों के साथ सबसे कम हुआ. हालांकि, सूरत को छोड़कर यह आंकड़ा था.
महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी
2024 में महिला मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई. महिला मतदाताओं का प्रतिशत 48.62% था, जो 2019 के मुकाबले थोड़ा अधिक था. महिला मतदाताओं की सर्वाधिक भागीदारी धुबरी (असम) में रही, जहां 92.17 प्रतिशत महिला मतदान हुआ. 2024 में चुनाव लड़ने वाली महिला उम्मीदवारों की संख्या 800 थी, जो 2019 में 726 थी. चुनाव लड़ने वाली महिला उम्मीदवारों की सबसे अधिक संख्या वाले राज्य: महाराष्ट्र (111), इसके बाद उत्तर प्रदेश (80) और तमिलनाडु (77) थे.
समावेशी चुनाव
2024 में ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या 48,272 थी, जो 2019 के मुकाबले 23.5 प्रतिशत अधिक है. दिव्यांग मतदाताओं की संख्या भी 90,28,696 रही, जो 2019 के मुकाबले काफी बढ़ी है.
2024 लोकसभा चुनाव परिणाम: एक नजर
इस चुनाव में छह राष्ट्रीय दलों ने भाग लिया और इनका कुल वोट शेयर 63.35 प्रतिशत रहा. 2024 में कुल 3,921 स्वतंत्र उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिनमें से केवल 7 उम्मीदवार ही चुनाव जीतने में सफल रहे, बाकी 3,905 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
निर्विरोध निर्वाचन
इस बार सूरत (गुजरात) संसदीय क्षेत्र निर्विरोध रहा, जहां कोई भी प्रत्याशी चुनौती नहीं दे सका. यह घटनाक्रम भारतीय चुनावों के इतिहास में एक दिलचस्प उदाहरण है, जो राजनीतिक स्थिति और उम्मीदवारों के बीच मजबूत समझौते को दर्शाता है.
क्या है चुनावी प्रक्रिया में बदलाव?
आंकड़े दिखाते हैं कि 2024 में चुनावी प्रक्रिया में कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं, जैसे कि महिला और समावेशी मतदाताओं की भागीदारी में वृद्धि, मतदान केंद्रों में सुधार और पारदर्शिता की दिशा में उठाए गए कदम.
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