
अयोध्या: गंगा दशहरा के पावन अवसर पर अयोध्या ने एक नए अध्यात्मिक इतिहास को रचा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में श्रीराम दरबार सहित समस्त नवनिर्मित देवालयों में सामूहिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह सम्पन्न हुआ. वैदिक मंत्रोच्चार, शंखध्वनि और संतों की वाणी से संपूर्ण परिसर आध्यात्मिक वातावरण से भर उठा.
अभिजीत मुहूर्त में हुआ त्रिदिवसीय अनुष्ठान का समापन
यह आयोजन तीन दिनों तक चला, जिसका अंतिम दिन गुरुवार को विशेष रूप से भव्य रहा. सुबह 6:30 बजे यज्ञमंडप में देवताओं के आह्वान के साथ विधिवत पूजा प्रारंभ हुई. लगभग दो घंटे के पूजन उपरांत सुबह 9 बजे हवन आरंभ हुआ जो एक घंटे तक चला. इसके बाद केंद्रीय दृश्य और श्रव्य तकनीकों की सहायता से सभी देवालयों में एक साथ प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई.
विविध देवालयों में एक साथ प्राण स्थापना
मंदिर परिसर के विभिन्न कोणों और भुजाओं में स्थित देवविग्रहों में विधिपूर्वक प्राण प्रतिष्ठा की गई. इनमें प्रमुख रूप से श्रीराम दरबार, शेषावतार, ईशान कोण में शिव मंदिर, अग्निकोण में गणेश जी, दक्षिणी भुजा में हनुमान जी, नैऋत्य कोण में सूर्य देव, वायव्य कोण में मां भगवती और उत्तरी भुजा में अन्नपूर्णा माता शामिल रहीं.
तकनीक और परंपरा का अनोखा संगम
समस्त मंदिर परिसर को कैमरा और स्क्रीन के माध्यम से एकीकृत किया गया था, जिससे सभी देवालयों में एक ही समय पर मंत्रोच्चार की गूंज और प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया सम्पन्न हो सकी. यह परंपरा और आधुनिकता का एक दुर्लभ मेल था.
धर्म, स्थापत्य और श्रद्धा का केंद्र बनेगा राम दरबार
राम मंदिर के प्रथम तल पर निर्मित राम दरबार की विशेषता केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि स्थापत्य कला की दृष्टि से भी अद्वितीय है. इसे उत्कृष्ट गुणवत्ता के संगमरमर से निर्मित किया गया है, जो आने वाले समय में श्रद्धालुओं के लिए एक अनुपम आकर्षण का केंद्र बनेगा. इस आयोजन में बड़ी संख्या में संत-महात्मा, वैदिक आचार्य, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी और हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे. पूरा परिसर भक्ति और दिव्यता में डूबा रहा.
(IANS)
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