उदित वाणी, रांची: भाजपा के अंदरखाने विधायक दल के चयन को लेकर किसी तरह की सुगबुगाहट नहीं है और विधायक दल के नेता के चयन में अभी और बिलंब हो सकता है. भाजपा के केन्द्रीय आलाकमान द्वारा अभी तक इसको लेकर प्रदेश के नेताओं के साथ चर्चा भी नहीं की गई है. जबकि विधायक दल के नेता के चयन को लेकर पार्टी आलाकमान द्वारा पर्यवेक्षक भेजी जाती है. अबतक पार्टी ने केन्द्रीय पर्यवेक्षक की नियुक्ति नहीं की गइ है. यद्यपि 24 फरवरी से आहूत बजट सत्र को लेकर रविवार शाम 6 बजे प्रदेश कार्यालय में भाजपा विधायक दल की बैठक बुलायी गई है. परंतु यह बैठक सिर्फ पारंपारिक है. सत्र शुरू होने के पहले सभी दलों द्वारा विधायक दल की बैठकें आयोजित करने की औपचारिकतायें पूरी की जाती है.
इस सत्र के पहले भी रविवार को विपक्ष व सत्ताप़क्ष के सभी पार्टियों के विधायक दल की बैठके आयोजित किये जायेंगे और सत्र को लेकर रणनीति बनाये जायेंगे. परंतु गौरतलब बात यह है कि प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते भाजपा विधायक दल के नेता ही विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नियुक्त किये जाते हैं और प्रतिपक्ष के नेता होने से सदन में विपक्ष की भी ताकत बढ़ती है. लेकिन प्रदेश भाजपा के समक्ष फिलवक्त विकट स्थिति है. भाजपा को विधायक दल का नेता ही नहीं, बल्कि मुख्य सचेतक, उप सचेतक व सचेतक की भी नियुक्ति किया जाना है और इनकी नियुक्ति नहीं होने से भाजपा को सत्तापक्ष के तंज का सामना पड़ रहा है.
सदन में पेपरलीक व जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति मामले में सरकार को घेरने की तैयारी
लिहाजा रविवार को आहूत बैठक के दौरान भाजपा द्वारा सत्र के दौरान उठाये जानेवाले ज्वलंत व अहम मुद्यों को लेकर रणनीति बनायी जायेगी. भाजपा द्वारा पेपरलीक, जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति, मर्हंयां सम्मान निधि, समेत सामाजिक पेंशन जैसे मुद्यों पर राज्य सरकार को घेरने की रणनीति पर विचार कर रही है.
सत्तापक्ष के विधायकों की भी बैठक आज
उधर सत्तापक्ष में रविवार को दिन में कांग्रेस व राजद अपनी-अपनी पार्टी विधायक दल की बैठक बुलायी गई है. इसके बाद शाम को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में शाम 7 बजे महागठबंधन दलों के विधायकों की बैठक की जायेगी. जिसमें विपक्ष को जबाब देने की रणनीति तैयार की जायेगी.
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