उदित वाणी, रांची: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ को लेकर झारखंड में सियासत तेज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस और हेमंत सोरेन सरकार पर सनातनी श्रद्धालुओं की अनदेखी का आरोप लगाया है. भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झारखंड सरकार ने कुंभ में राज्य के श्रद्धालुओं के लिए कोई विशेष प्रबंध नहीं किया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने मांग की कि सरकार तुरंत प्रयागराज में नोडल अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्ति करे, जिससे श्रद्धालुओं को सहूलियत मिल सके.
“झारखंड सरकार ने दिखाया सनातन विरोधी चेहरा”
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि महाकुंभ 2025 विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु देश-विदेश से गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान करने पहुंचेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार ने कुंभ मेले में अपने राज्य के श्रद्धालुओं के लिए कोई विशेष सुविधा प्रदान नहीं की है, जबकि अन्य राज्यों ने अपने नागरिकों की सहायता के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं.
अन्य राज्यों ने की खास व्यवस्था, झारखंड सरकार उदासीन?
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कई राज्यों ने कुंभ में अपने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है, विशेष बस सेवा शुरू की है और ठहरने व भोजन की व्यवस्था की है. कई सरकारों ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं, लेकिन झारखंड सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार की असंवेदनशीलता से झारखंड के श्रद्धालु महाकुंभ में असुविधा का सामना करने के लिए मजबूर होंगे.
“अन्य धर्मों के यात्रियों को विदा करने जाते हैं मुख्यमंत्री, लेकिन कुंभ की अनदेखी”
भाजपा ने आरोप लगाया कि जब अन्य धर्मों के लोग धार्मिक यात्रा पर जाते हैं, तो मुख्यमंत्री और मंत्रीगण खुद उन्हें रवाना करने स्टेशन तक पहुंचते हैं. लेकिन 12 वर्षों में एक बार लगने वाले महाकुंभ के प्रति सरकार का रवैया उदासीन है. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि अभी भी समय है, सरकार झारखंड के श्रद्धालुओं के लिए प्रयागराज में अधिकारियों की नियुक्ति करे और विशेष बस सेवा जैसी सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करे.
कांग्रेस के दबाव में झारखंड सरकार का महाकुंभ से किनारा?
भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के दबाव में हेमंत सरकार ने कुंभ मेले से हाथ खींच लिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के कुंभ और सनातन विरोधी बयान ने इंडी गठबंधन की मानसिकता को उजागर कर दिया है. चूंकि झारखंड सरकार कांग्रेस के समर्थन से चल रही है, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस के दबाव में ही उसने महाकुंभ जैसे भव्य आयोजन में झारखंड के सनातनियों की उपेक्षा की है.
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