
उदित वाणी, गम्हरिया: 8 मार्च को आरएसबी ग्लोबल ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम का विषय था “सशक्त संगठित: विविधता, समानता और समावेशिता की शक्ति”. यह आयोजन महिलाओं के योगदान को सम्मानित करने और कंपनी के समावेशी कार्य संस्कृति के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर था.
मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का योगदान
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि साध्वी अमरजीत शेरगिल, महामंडलेश्वर, किन्नर अखाड़ा थीं. अपने संबोधन में उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय के सामाजिक और व्यावसायिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला और आरएसबी ग्लोबल के समावेशी दृष्टिकोण की सराहना की. विशिष्ट अतिथि साध्वी हिमांशी ने भी विविधता और समानता के महत्व पर अपने विचार साझा किए और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता पर बल दिया.
कार्यक्रम में भागीदारी और प्रस्तुतियाँ
इस भव्य आयोजन में 1,500 से अधिक लोग उपस्थित रहे, जिनमें कंपनी के कर्मचारी, उनके परिवारजन और वरिष्ठ नेतृत्व के परिजन शामिल थे. इस अवसर पर कर्मचारियों और उनके परिवारजनों द्वारा रंगारंग और शिक्षाप्रद प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिसने कार्यक्रम को और भी शानदार बना दिया. इन प्रस्तुतियों को एचआर टीम के सहयोग से बेहतरीन तरीके से तैयार किया गया था, जिससे कर्मचारियों की एकजुटता और संगठनात्मक संस्कृति की झलक मिली.
महिला सशक्तिकरण पर कंपनी की प्रतिबद्धता
आरएसबी ग्लोबल अपने कार्यस्थल पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. कंपनी का मानना है कि महिलाओं का सशक्तिकरण न केवल नवाचार और उत्पादकता को बढ़ाता है, बल्कि कार्यस्थल को और अधिक सामंजस्यपूर्ण और समावेशी बनाता है.
समावेशी कार्य संस्कृति की दिशा में एक कदम और
महिला दिवस का यह आयोजन केवल एक उत्सव नहीं था, बल्कि यह आरएसबी ग्लोबल की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक था, जिसमें हर व्यक्ति – चाहे उसका लिंग या पहचान कुछ भी हो – समान अवसरों के साथ आगे बढ़ सकता है. इस आयोजन ने समावेशिता, समानता और विविधता के महत्व को बढ़ावा दिया, जो कंपनी की कार्य संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुका है.
इंक्लूजन, इक्वलिटी और डाइवर्सिटी पर प्रतिबद्धता
आरएसबी ग्लोबल ने इस आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि वह अपने कार्यस्थल को और अधिक समावेशी बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, ताकि हर कर्मचारी को समान अवसर मिल सके और सभी की आवाज़ को समान सम्मान प्राप्त हो.
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