उदित वाणी, रांची (विप्र): राज्यपाल रमेश बैस ने राज्य के जनजातीय समुदाय के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को कोर्ट फीस [झारखंड संशोधन] अधिनियम के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया. ज्ञात हो कि विधेयक को 22 दिसंबर 2021 को झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किया गया था तथा 11 फरवरी 2022 को राज्यपाल द्वारा इस पर अपनी सहमति भी प्रदान की गई थी. परन्तु इसके बाद राज्यपाल को उक्त अधिनियम के प्रावधानों में वर्णित कोर्ट फीस वृद्धि को लेकर बहुत सारे लोगों ने अभ्यावेदन व ज्ञापन दिया गया. राज्यपाल को 25 जुलाई 2022 को झारखंड राज्य बार काउंसिल से भी एक ज्ञापन दिया गया. जिसमें राज्य सरकार से कोर्ट फीस में हुई वृद्धि को वापस लेने और इसे विधिसम्मत तरीके से लागू करने के लिए राज्यपाल से निर्देश देने का आग्रह किया गया है और राज्यपाल द्वारा इस मामले पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए राज्य सरकार को इस अधिनियम पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया गया हैं.
20 अक्टू को मामले में हाईकोर्ट में होगी सुनवाई
इधर झारखंड स्टेट बार काउंसिल द्वारा राज्य सरकार की कोर्ट फी अमेंडमेंट एक्ट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर अब झारखंड हाईकोर्ट में 20 अक्टूबर को सुनवाई होगी. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एस एन प्रसाद की खंडपीठ में मामले में बुधवार को सुनवाई हुई. वहीं महाधिवक्ता राजीव रंजन द्वारा मामले में शपथ पत्र दाखिल किया गया और अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा कोर्ट फीस बढ़ोतरी के मामले में सुधार के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है.
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