उदित वाणी, जमशेदपुर: मानगो स्थित वसुन्धरा एस्टेट में चल रहे श्री शिवकथा ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिन, सोमवार को कथा वाचक स्वामी वृजनंदन शास्त्री महाराज ने श्रद्धालुओं को भगवान शिव के अद्भुत रूपों की महिमा से अवगत कराया. महाराज ने विशेष रूप से द्वादश ज्योतिर्लिंग, महादेव को अर्पित बेलपत्र और ओंकारेश्वर, विश्वनाथ, महाकाल के कथा प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया.
भगवान शिव का भक्तिपरक रूप
स्वामी वृजनंदन शास्त्री ने बताया कि भगवान शिव केवल पूजा और अर्चना से नहीं, बल्कि भक्त के भाव से प्रसन्न होते हैं. शिव भगवान ने स्वयं को लिंग रूप में प्रकट किया ताकि भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सके. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, वह पापमुक्त हो जाता है और शिव भक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करता है.
बेल पत्र की महिमा
कथा के दौरान महाराज जी ने बेलपत्र की विशेष महिमा का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से सावन माह, शिवरात्रि और सोमवार को बेलपत्र का पूजा में महत्व अत्यधिक होता है. बेलपत्र के तीन पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप भगवान शिव के तीनों नेत्रों के समान होते हैं. उनका पूजन करने से समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं.
शिव कथा के प्रभाव
स्वामी वृजनंदन शास्त्री ने आगे कहा कि शिव कथा, शरीर, वाणी और मन से किए गए पापों को धोने का सरल और प्रभावी उपाय है. भगवान शिव पर एक बेलपत्र और जल अर्पित करने से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है. भगवान शिव जन जन का कल्याण करते हैं और उनकी महिमा को शब्दों में व्यक्त करना असंभव है.
भगवान शिव के अपरमित महात्म्य
महाराज ने कहा कि भगवान शिव का अस्तित्व आकाश के समान उच्च और सागर के समान गहरा है. वे समस्त विद्याओं के ईश्वर, भूतों के अधीश्वर और परमात्मा हैं. भगवान शिव की महिमा इतनी व्यापक है कि उनके रूप का वर्णन भी किया जाए तो उसकी सीमा नहीं है.
आगामी कथा प्रसंग
महाराज जी ने यह भी बताया कि अगले दिन, यानी मंगलवार को, वे मरकंडे जी को मृत्यु रहित अमृत प्राप्ति और ओंकारेश्वर विश्वनाथ महाकाल की कथा सुनाएंगे. बुधवार को त्रिपुर वध, तारकासुर वध, त्रिशुल, त्रिपुंड और कार्तिकेय चरित्र की कथा का वर्णन होगा.
श्रद्धालुओं की उपस्थिति
सोमवार को विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के प्रमुख सदस्य कथा स्थल पर उपस्थित हुए. इनमें जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वामी विधानंद सरस्वती जी, विधायिका पूर्णिमा साहू, राजेश शुक्ला, ललित दास, गुंजन यादव, पंकज सिन्हा समेत कई अन्य गणमान्य लोग शामिल थे. सभी ने भोलेनाथ के दरबार में श्रद्धा निवेदित की और कथा का आनंद लिया. साथ ही, स्वामी वृजनंदन शास्त्री से आशीर्वाद प्राप्त कर झारखंड के समग्र विकास की प्रार्थना की.
भगवान शिव की महिमा को शब्दों में व्यक्त कर पाना संभव नहीं है, लेकिन उनके भक्तों का हृदय में बसे प्रेम और श्रद्धा से शिव लोक में स्थान प्राप्त किया जा सकता है.
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