उदित वाणी, चाकुलिया: झारखंड में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर अंग्रेजी माध्यम से नौनिहालों को शिक्षित करने के उद्देश्य से स्थापित 89 मॉडल स्कूल लंबे समय से उपेक्षा का शिकार रहे हैं. हालांकि, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन की सक्रियता ने इन विद्यालयों में सुधार की आशा को फिर से जगा दिया है.
मॉडल स्कूलों का वर्तमान हालात
पूर्वी सिंहभूम जिले में छह मॉडल स्कूल संचालित हो रहे हैं, लेकिन ये सभी स्कूल अभी भी किराए के भवनों में चल रहे हैं. इन स्कूलों का मैट्रिक और इंटर का परीक्षा परिणाम हर वर्ष लगभग 100% रहता है. इसके बावजूद, बीते 12-13 वर्षों में इन विद्यालयों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं.
मॉडल स्कूलों का आधार केंद्रीय विद्यालयों के प्रारूप पर रखा गया था, लेकिन समय के साथ इन्हें उचित संसाधन और प्रबंधन नहीं मिल सका. वर्तमान में इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी गहराती जा रही है, जिससे स्कूलों का संचालन चुनौतीपूर्ण हो गया है.
बेहतरीन परीक्षा परिणाम के बावजूद समस्याएं
झारखंड के 89 मॉडल स्कूलों का परीक्षा परिणाम राज्य के अन्य सरकारी स्कूलों की तुलना में कहीं बेहतर है. अकेले पूर्वी सिंहभूम के छह स्कूलों में 2024 में 123 विद्यार्थियों ने मैट्रिक परीक्षा दी, जिनमें से 109 प्रथम श्रेणी और 14 द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए. इसके बावजूद, लगभग 70 स्कूल अभी भी किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं. कुछ स्कूलों के अपने भवन बन चुके हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.
शिक्षा मंत्री से उम्मीदें
मॉडल स्कूल टीचर्स एसोसिएशन ने हाल ही में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से मुलाकात कर समस्याओं को सामने रखा. मंत्री ने विद्यालयों को बेहतर बनाने का संकल्प व्यक्त किया है. चाकुलिया, धालभूमगढ़, पटमदा और डुमरिया के स्कूलों का 2024 का परीक्षा परिणाम 100% रहा, जो इन स्कूलों की क्षमता और मेहनत को दर्शाता है.
आशा की नई किरण
बहरागोड़ा मॉडल स्कूल की शिकायतों पर मंत्री की तत्परता से इन स्कूलों के लिए पुनः आशा का संचार हुआ है. अब उम्मीद की जा रही है कि जिन उद्देश्यों के साथ इन मॉडल स्कूलों की स्थापना हुई थी, वे पूर्ण होंगे.
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