उदित वाणी, घाटशिला: मऊभंडार में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का नेतृत्व झारखंड कांग्रेस के प्रदेश सचिव सनत कालटू चक्रवर्ती ने किया. गोष्ठी में महात्मा गांधी के जीवन संघर्ष और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर चर्चा की गई.
महात्मा गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष बनने का ऐतिहासिक क्षण
सनत कालटू चक्रवर्ती ने गांधी जी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि 26 दिसंबर 1924 को कर्नाटका के बेलगांव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 39वें अधिवेशन में सर्वसम्मति से महात्मा गांधी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. सत्य और अहिंसा गांधी जी के दो प्रमुख हथियार थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई.
देशभर में आयोजित हो रहे कार्यक्रम
सनत कालटू चक्रवर्ती ने बताया कि इस ऐतिहासिक अवसर पर पूरे देश में कांग्रेस पार्टी द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. यह अवसर महात्मा गांधी के योगदान को याद करने और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का है.
उपस्थित नेता और कार्यकर्ता
कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेता सरदार हर्वेल सिंह, शमशाद खान, मंजर हुसैन, अजय दे, मानव दास, प्रमोद सिंह, मुचिराम मांझी, बाबू राव, शेख आजाद, मो. वसीम, रवि दत्ता, मो. शाहबाज, पप्पू सिंह, आशीष नामाता, वाहिद खान, बाबू फ्लावर, मो. इरफान, विश्वनाथ प्रताप, कृष्णा शर्मा, सुकुमार दत्ता, हैप्पी सिंह सहित अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता भी उपस्थित थे.
गांधी जी के विचार और संघर्ष की प्रासंगिकता
इस कार्यक्रम ने महात्मा गांधी के विचारों और उनके संघर्ष को समर्पित किया, जो आज भी हमें सत्य, अहिंसा और देश सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं. यह गोष्ठी महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धांजलि और उनके योगदान को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर था.
महात्मा गांधी के नेतृत्व का भारतीय राजनीति पर प्रभाव
कार्यक्रम के इस भाग में यह चर्चा की गई कि महात्मा गांधी के नेतृत्व ने भारतीय राजनीति और समाज पर कैसे गहरा असर डाला और उनका संघर्ष स्वतंत्रता प्राप्ति के मार्ग में कितना निर्णायक था.
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