उदित वाणी, जमशेदपुर: आदिवासी कुड़मि समाज हुरलुंग गांव महिला संयोजक समिति के संयोजक नंदिनी महतो पुनुरिआर की अगुवाई में आज पौष संक्रांति के दिन टुसु बिदाई सह शोभा यात्रा निकाली गई. इसके साथ ही माहव्यापी टुसु परब का समापन हो गया. इस अवसर पर गांव व आसपास के सभी महिला, पुरुष, बच्चे, बच्चियां अगहन सांकराइत को थापना किए गए धान रूपी अन्न महाशक्ति टुसू माञ को चउड़ल में रखकर पारंपरिक गाजे बाजे ढोल मांदर के साथ नाचते गाते लुपुंगडीह स्वर्णरेखा नदी लड़कन्दा टुसू घाट गए. यहां डिनि टुसु माञ को अगले बरस फिर और अधिक खुशियां लेकर घर आने की कामना करते हुए बहते पानी में बिदाई दी गई.
मौके पर केंद्रीय अध्यक्ष प्रसेनजीत महतो ने कहा कि टुसु परब का मूल संबंध धान रूपी अन्न महाशक्ति से है. इसके सम्मान में बच्चियां टुसु पाता कर एक माह पर्यंत पूरे पुस माह हर शाम एक एक फूल देकर इसकी सेंउरन करत4 हैं. इसलिए इसे पूस परब भी कहते हैं और कालांतर में मकर संक्रांति के कारण मकर परब भी कहा जाने लगा. यह परब कुड़मालि संस्कृति के अंतिम परब के रूप में मूल रूप से फसल (धान) कटनी के उपरांत खुशी मनाने के लिए पूरे हर्षोल्लास के साथ मिलजुल कर मनाया जाता है. नये कपड़े, विशेष खानपान, पीठा पकवान टुसु गीत व नाच इस परब के अभिन्न अंग हैं.
टुसु बिदाई के अवसर पर आकुस केंद्रीय सह सचिव रामबिलास महतो, जिला सह संयोजक प्रकाश महतो, नमिता महतो, संजय महतो, उदित महतो, सूरज महतो, सुजीत महतो, विक्की महतो, अमित महतो, समाजसेवी गोपेश महतो, विशाल महतो, संतोष महतो, नरेश महतो, अजय कड़रआर, गुलशन लोहरा, लवली लोहरा, नारायण महतो, सुदर्शन महतो, प्रेम चांद महतो, प्रकाश महतो, जुगल सिंह मुंडा, उज्जवल महतो, आनंद महतो, ममताबाला महतो, मनीला महतो, लीना मुंडा, लक्ष्मी महतो, पुष्पा रानी महतो, उमा महतो, राजा महतो, दीपक महतो, रतन महतो, नवीन महतो, संटु महतो, सुनील कुमार महतो, लाल महतो, युधिष्ठिर महतो, सुप्रसाद महतो आदि सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष उपस्थित थे.
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