उदित वाणी, प्रयागराज: महाकुंभ मेला, दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागमों में से एक, केवल नदियों के संगम का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह संस्कृतियों, परंपराओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों का भी संगम है. यह भव्य आयोजन हर बारह वर्षों में आयोजित होता है और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को एक विशिष्ट मंच पर प्रदर्शित करता है.
कलात्मक प्रस्तुतियां: महाकुंभ की आत्मा का प्रतिबिंब
महाकुंभ के विविध पहलुओं में सांस्कृतिक कलाकारों का प्रदर्शन विशेष स्थान रखता है. इन कलाकारों की संगीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियां श्रद्धालुओं को भक्ति, आस्था और इतिहास की कहानियां सुनाते हुए मंत्रमुग्ध कर देती हैं.
शास्त्रीय नृत्यों से लेकर लोक परंपराओं तक, ये प्रस्तुतियां भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती हैं.
सांस्कृतिक कार्यक्रम न केवल आगंतुकों के आध्यात्मिक अनुभव को समृद्ध करते हैं, बल्कि महाकुंभ के पवित्र वातावरण में सौंदर्य और दिव्यता का समावेश भी करते हैं.
महाकुंभ 2025: सांस्कृतिक यात्रा की शुरुआत
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेला 2025 में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के लिए देशभर से प्रख्यात कलाकारों को आमंत्रित किया है.
कार्यक्रम अवधि: 16 जनवरी 2025 से 24 फरवरी 2025
उद्घाटन प्रस्तुति: पहले दिन प्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन अपनी प्रस्तुति देंगे.
समापन प्रस्तुति: अंतिम दिन मोहित चौहान इस सांस्कृतिक यात्रा का समापन करेंगे.
महाकुंभ 2025 के लिए आमंत्रित प्रमुख कलाकार:
कैलाश खेर
शान मुखर्जी
हरिहरन
कविता कृष्णमूर्ति
कविता सेठ
ऋषभ रिखीराम शर्मा
शोवना नारायण
डॉ. एल सुब्रमण्यम
बिक्रम घोष
मालिनी अवस्थी
सांस्कृतिक प्रस्तुति: एकजुटता और श्रद्धा का सेतु
महाकुंभ के दौरान प्रस्तुतियां भाषाई और क्षेत्रीय सीमाओं को पार कर, श्रद्धालुओं के दिलों को साझा विस्मय और श्रद्धा में जोड़ती हैं.
कलाकारों की धुनें, नृत्य और कहानियां महाकुंभ के पवित्र मैदानों में गूंजते हुए संस्कृति की शाश्वत शक्ति को रेखांकित करती हैं.
इन प्रस्तुतियों में सांसारिकता और आध्यात्मिकता का समन्वय देखने को मिलता है, जो दर्शकों के हृदय में अमिट छाप छोड़ती हैं.
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