उदित वाणी, कांड्रा: गम्हरिया के जगन्नाथपुर स्थित नव ज्योति विद्या मंदिर में साप्ताहिक वार्षिक उत्सव ‘नवोत्सव’ का समापन समारोह धूमधाम से आयोजित किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक परंपरा के तहत मंत्रोच्चार और दीप प्रज्वलन से हुई. इस अवसर पर मुख्य अतिथि गम्हरिया ब्लॉक की सीडीपीओ दुर्गेश नंदिनी, प्रभारी अर्चना कुमारी, पूर्व मुखिया प्रभा देवी, पंचायत समिति सदस्य आरती तिवारी, पर्यावरण विभाग के डॉ. मानव कुमार प्लाजा, राधेश्याम ट्रस्ट के अध्यक्ष यूएन श्रीवास्तव, सचिव डॉ. संजीव श्रीवास्तव, स्कूल की प्राचार्य अनामिका श्रीवास्तव, भारतीय वायुसेवा से सेवानिवृत शेखर जी, इप्टा के संस्थापक अध्यक्ष परमानंद मोदी, स्कूल के सीए एके अहिवाल, झारखंड विकलांग संस्थान के महासचिव दीपक श्रीवास्तव सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियाँ उपस्थित थीं.
भारतीय संस्कृति की ओर प्रेरणा
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दुर्गेश नंदिनी ने बच्चों की शानदार प्रस्तुति की सराहना की. उन्होंने कहा, “आज के दौर में, जहां अधिकांश स्कूल पाश्चात्य संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं, नव ज्योति विद्या मंदिर भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यह न केवल सराहनीय है, बल्कि एक चुनौतीपूर्ण प्रयास भी है. वैदिक शिक्षा और संस्कारों का समावेश बच्चों में भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करेगा.”
नृत्य और संगीत में भारतीयता की छाप
कार्यक्रम में छात्राओं ने मिथिला के लोक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी, जिसने भारतीय संस्कृति की अनूठी झलक दिखाई. इसके साथ ही, नन्हें बच्चों ने महाभारत पर आधारित नृत्य और माता-पिता को समर्पित गीत नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसने अभिभावकों से खूब सराहना और तालियां बटोरीं. फिल्मी गीतों पर भी बच्चों ने अद्भुत प्रस्तुतियाँ दीं. इसके अलावा, बच्चों ने देश में हिंदी की स्थिति पर आधारित एक बेहतरीन नाटक पेश किया, जो दर्शकों के बीच गहरी छाप छोड़ गया.
पूर्व छात्रों के अनुभव
कार्यक्रम में पूर्व छात्रा भूमि सिंह और शताब्दी ने स्कूल से जुड़े अपने अनुभव साझा किए और बताया कि इस विद्यालय ने उनके जीवन में संस्कारों और शिक्षा का कितना महत्व बढ़ाया है.
कार्यक्रम का संचालन
इस शानदार कार्यक्रम का संचालन शिक्षिका अनिशा श्रीवास्तव, छात्र वीर प्रताप राय और गणेश मुखी ने किया. उनके संचालन से कार्यक्रम और भी आकर्षक और मनोरंजक बन गया.
इस प्रकार, नव ज्योति विद्या मंदिर का नवोत्सव भारतीय संस्कृति, शिक्षा और संस्कारों का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करता है. यह कार्यक्रम विद्यालय के शिक्षाप्रेमी और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को प्रकट करने के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना.
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