उदित वाणी, जमशेदपुर: हिन्दू धर्म में महाकुंभ का महत्व अत्यधिक है और यह सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों में से एक माना जाता है. महाकुंभ हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है, जहां श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं. यह आयोजन भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थानों पर होता है, जिनमें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक शामिल हैं.
महाकुंभ का आयोजन और स्थान
महाकुंभ का आयोजन चार प्रमुख तीर्थ स्थलों पर होता है:
• प्रयागराज का संगम: गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम स्थल, जहां हर 12 साल में महाकुंभ मेला आयोजित होता है.
• हरिद्वार में गंगा नदी: यहां भी महाकुंभ का आयोजन होता है, जो भक्तों के लिए अत्यधिक पवित्र माना जाता है.
• उज्जैन में शिप्रा नदी: यहां भी महाकुंभ मेला आयोजित होता है, जो एक विशेष धार्मिक महत्व रखता है.
• नासिक में गोदावरी नदी: इस स्थान पर भी महाकुंभ का आयोजन होता है और यह तीर्थ स्थल श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक पवित्र है.
महाकुंभ 2025: समय और प्रमुख स्नान तिथियां
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाकुंभ का आयोजन पौष पूर्णिमा के दिन से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक होता है। वर्ष 2025 में महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से प्रारंभ होकर 26 फरवरी 2025 तक चलेगा, यानी यह महाकुंभ 45 दिनों तक चलेगा। इस दौरान कई महत्वपूर्ण शाही स्नान तिथियां होंगी, जो विशेष रूप से श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।
13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा (पहला शाही स्नान)
14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति (दूसरा शाही स्नान)
29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या (तीसरा शाही स्नान)
3 फरवरी 2025: बसंत पंचमी (चौथा शाही स्नान)
12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा (पांचवां शाही स्नान)
26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि (अंतिम शाही स्नान)
धार्मिक मान्यता और महत्व
महाकुंभ के दौरान पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से व्यक्ति को हर प्रकार के रोग, दोष और पापों से मुक्ति मिलती है. इसे मोक्ष की प्राप्ति का एक अचूक उपाय माना जाता है.
महाकुंभ 2025 का आयोजन
साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में होगा. यह आयोजन 13 जनवरी 2025 को आरंभ होगा और 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा. इस दौरान कई शाही स्नान तिथियां निर्धारित की गई हैं, जिनमें लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे.
महाकुंभ का मेला एक अद्वितीय और पवित्र अवसर है, जिसमें न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक समागम का भी प्रतीक है.
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