उदित वाणी, जमशेदपुर: नववर्ष की पूर्व संध्या पर मद्रासी सम्मेलनी, जमशेदपुर के तत्वावधान में एक शानदार शास्त्रीय वाद्ययंत्र कार्यक्रम ‘लयविन्यास’ का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कोलकाता के प्रसिद्ध मृदंगम विद्वान शंकर नारायणस्वामी और उनके कलाकारों ने अपनी संगीतमालाओं से समां बांध दिया.
प्रथम अध्याय: श्रद्धांजलि और संगीत का संगम
कार्यक्रम के पहले भाग में भारत रत्न एम.एस. सुभलक्ष्मी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इसके बाद, प्रसिद्ध भजन ‘आदि शंकराचार्य भज गोविंदम’ की प्रस्तुति दी गई, जिसे एम.एस. सुभलक्ष्मी ने अपनी आवाज और संगीत से संजीवित किया था.
दूसरा अध्याय: रागों की अनूठी प्रस्तुति
इसके बाद ‘लयविन्यास’ के कलाकारों ने स्वरचित रचनाओं का प्रस्तुतिकरण किया. राग हंसध्वनि पर आधारित ‘तीसरा नदाई’ और ‘चतुरसा नदाई’ तालों की शानदार धुनें दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गईं. इसके साथ ही, राग मोहनम पर आधारित भूपाली की प्रस्तुति, जो 9 मात्राओं पर आधारित थी, ने शास्त्रीय संगीत के प्रशंसकों को आकर्षित किया. राग वृन्दावनी और राग मिश्रा चापु में आदि ताल और तीन ताल की सुसंगत प्रस्तुति ने कार्यक्रम को और भी सजीव बना दिया. वाद्ययंत्रों की युगलबंदी ने शास्त्रीय संगीत का नया आयाम प्रस्तुत किया.
अंतिम अध्याय: भक्ति और समापन
कार्यक्रम के समापन से पहले मीरा के भजन की प्रस्तुति दी गई, जिसे एम.एस. सुभलक्ष्मी ने स्वर दिया था. अंत में, ‘लयविन्यास’ द्वारा अभंग की प्रस्तुति के साथ इस अद्भुत संगीत यात्रा का समापन हुआ.
प्रस्तुतकर्ता और संगीतकारों की टोली
इस कार्यक्रम में श्री शंकर नारायणस्वामी (मृदंगम), सोमनाथ रॉय (घटम एवं मोर्सिंग), सोहन घोष (तबला), मंडोला जॉय (श्री-तार), जयदीप सिन्हा (गायन) और रिक मुखर्जी (बांसुरी) ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं का दिल जीत लिया. कार्यक्रम का निर्देशन श्री शंकर नारायणस्वामी ने किया.
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