उदित वाणी, जमशेदपुर: झारखंड सरकार के कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग तथा प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्था ‘पथ’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला का भव्य समापन समारोह रविंद्र भवन, जमशेदपुर में संपन्न हुआ. इस रचनात्मक पहल का उद्देश्य युवाओं में रंगमंच के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना तथा उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराना था.
बिरसा : अविस्मरणीय योद्धा’ की मंचीय प्रस्तुति
समापन के अवसर पर कार्यशाला के प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत नाट्य मंचन ‘बिरसा : अविस्मरणीय योद्धा’ ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया. यह प्रस्तुति बिरसा मुंडा के जीवन संघर्ष, सामाजिक नेतृत्व और उनके आदिवासी आंदोलन की अमिट छवि को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करती है. कलाकारों ने अपने अभिनय, संवाद और भावों के माध्यम से बिरसा की विचारधारा, साहस और समाज में लाए गए परिवर्तन को मंच पर जीवंत कर दिया. दर्शकों ने नाटक को उत्साहपूर्वक सराहा और देर तक तालियों की गूंज सुनाई दी.
प्रतिभागियों की भागीदारी और प्रशिक्षण
इस कार्यशाला में जमशेदपुर सहित विभिन्न क्षेत्रों से 50 से अधिक युवा रंगकर्मियों ने भाग लिया. प्रमुख प्रतिभागियों में राजकुमार दास, खुशी कुमारी, अंकिता कुमारी, आशुतोष कुमार सिंह, सौरभ कुमार, शुभम निषाद, शिल्पा दत्त, पूजा मुखी, श्रेया कुमारी, रूपेश कुमार प्रसाद, आदिल खान, आकांक्षा गुप्ता, नताशा पोद्दार, अमीर हम्ज़ा और मार्टिन सुंडी जैसे नाम शामिल रहे.
प्रशिक्षण हेतु राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक और अनुभवी रंगकर्मी आमंत्रित किए गए. वरिष्ठ रंगकर्मी मोहम्मद निज़ाम ने अभिनय के विविध पक्षों पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया. उन्होंने रामचंद्र मार्डी के साथ नाटक के सह-निर्देशन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.
मंचीय अनुशासन और गहन प्रशिक्षण
कार्यशाला का संयोजन छवि दास द्वारा सफलतापूर्वक किया गया. प्रशिक्षण के दौरान अभिनय, संवाद अदायगी, वेशभूषा, रंग-सजावट, संगीत, स्वर-मंचन, भाव-प्रदर्शन और मंचीय अनुशासन की बारीकियों पर विशेष ध्यान दिया गया. प्रशिक्षकों ने मंच भाषा, चरित्र निर्माण और दर्शकों से संवाद स्थापित करने की कला पर गहन कार्य कराया.
युवा प्रतिभाओं की आवाज़
कार्यशाला के अंत में आकांक्षा, यशराज और अन्य प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने केवल अभिनय ही नहीं सीखा, बल्कि सामाजिक विषयों पर संवेदनशील दृष्टिकोण भी विकसित किया.
सांस्कृतिक चेतना की एक मिसाल
इस आयोजन ने झारखंड की सांस्कृतिक चेतना को एक नई ऊर्जा प्रदान की. यह मंच न केवल रंगमंचीय प्रशिक्षण का केंद्र बना, बल्कि सामाजिक संवाद और जनचेतना को भी विस्तार मिला. दर्शकों, रंगकर्मियों और अधिकारियों ने इसे अत्यंत सफल, प्रेरणादायक और सतत आयोजन योग्य पहल बताया.
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