उदित वाणी, जमशेदपुर: सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (CSIR-NML), जमशेदपुर द्वारा अपनी प्लेटिनम जयंती के अवसर पर “संसाधनों के सतत उपयोग के लिए कोयला एवं खनिज लक्षण वर्णन में नवाचार (ICMCS-2025)” पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. यह दो दिवसीय सम्मेलन 30-31 जनवरी, 2025 को फेयरफील्ड बाय मैरियट, कोलकाता में शुरू हुआ. इसका उद्देश्य शोधकर्ताओं, उद्योग जगत के नेताओं और नीति निर्माताओं को साझा मंच प्रदान करना था, जिससे नवाचार और संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके.
भव्य उद्घाटन समारोह और सम्मेलन स्मारिका का विमोचन
कार्यक्रम का शुभारंभ भव्य समारोह के साथ हुआ, जिसमें प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही. मुख्य अतिथि मनोज कुमार, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, CMPDI, रांची, और CSIR-NML के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी सहित अन्य वरिष्ठ विशेषज्ञों ने सम्मेलन स्मारिका का विमोचन किया.
कोयला और खनिज लक्षण वर्णन पर विशेषज्ञों का संवाद
CSIR-NML द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में कोयला और खनिज लक्षण वर्णन, संसाधन अन्वेषण, विश्लेषणात्मक तकनीकों और सतत प्रथाओं पर विचार-विमर्श किया गया. कार्यक्रम में देशभर के 30 प्रतिष्ठित संस्थानों के 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इसमें छह सत्रों के अंतर्गत 37 तकनीकी पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें नवीनतम अनुसंधान और उद्योग जगत की प्रगति पर चर्चा हुई.
प्रतिष्ठित संस्थानों और उद्योगों की भागीदारी
इस सम्मेलन में IIT खड़गपुर, BHU वाराणसी, CMPDI रांची, BARC हैदराबाद, टाटा स्टील लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, NTPC, CSIR-IMMT भुवनेश्वर, GSI कोलकाता सहित कई अन्य संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया. प्रतिभागियों ने अपने विचार साझा किए और संसाधन प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों के समाधान पर गहन चर्चा की.
अनुसंधान और उद्योगों के सहयोग को नया आयाम
CSIR-NML के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी ने अपने संबोधन में पदार्थ विज्ञान, विशेष रूप से कोयला और खनिज लक्षण वर्णन में अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने उद्योगों के साथ सहयोग, नवाचार को बढ़ावा देने और युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया.
सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ. संचिता चक्रवर्ती ने उद्योगों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं के बीच दीर्घकालिक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि कैसे इस प्रकार की साझेदारियाँ नवाचार को गति प्रदान कर सकती हैं और संसाधन प्रबंधन की प्रमुख चुनौतियों का समाधान निकाल सकती हैं.
मुख्य अतिथि का संबोधन और उद्योग विशेषज्ञों के व्याख्यान
मुख्य अतिथि मनोज कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए संसाधन अन्वेषण और सतत विकास में CMPDIL की भूमिका को रेखांकित किया. उन्होंने CSIR-NML और CMPDI के बीच दीर्घकालिक सहयोग की चर्चा की, जिसने कोयला लक्षण वर्णन और प्रमाणित संदर्भ सामग्री के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
सम्मेलन में उद्योग जगत के प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा विशेष व्याख्यान भी दिए गए. सुंदर रामम डीबी, उपाध्यक्ष (रॉ मैटेरियल), टाटा स्टील लिमिटेड और जॉय गोपाल घोष, एसोसिएट प्रिंसिपल (भूविज्ञान एवं अन्वेषण), जियोवेल सर्विसेज ने अपने अनुभव साझा किए.
तकनीकी सत्रों में उभरते रुझानों पर चर्चा
सम्मेलन के छह तकनीकी सत्रों में कोयला और खनिज लक्षण वर्णन, संसाधन अन्वेषण तकनीकों और सतत विकास की रणनीतियों पर विमर्श हुआ. यह मंच उद्योग और अकादमिक जगत के विशेषज्ञों को एक साथ लाने का प्रयास था, जिससे नवीनतम शोध और प्रौद्योगिकी को प्रभावी रूप से अपनाया जा सके.
समापन और भविष्य की संभावनाएँ
आईसीएमसीएस-2025 के संयोजक डॉ. राजेन कुंडू ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. उन्होंने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों और सभी प्रतिभागियों की सहभागिता की सराहना की. आयोजन समिति की मेहनत और समर्पण को स्वीकारते हुए उन्होंने सम्मेलन की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की.
आईसीएमसीएस-2025 एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ, जिसने नवाचार को बढ़ावा दिया और संसाधनों के सतत उपयोग की दिशा में नए आयाम खोले. इस प्रकार के प्रयासों से उद्योग और समाज दोनों को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा, जिससे सतत विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकेंगे.
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