उदित वाणी, मुंबई: सलमान खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सिकंदर’ आज ईद के मौके पर रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म में सलमान के साथ एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना भी मुख्य भूमिका में हैं, और यह जोड़ी पहली बार स्क्रीन पर एक साथ नजर आ रही है. ए आर मुरुगदॉस द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक्शन थ्रिलर शैली में बनाई गई है और दक्षिणी-उत्तर भारत के सिनेमा का अनोखा मिश्रण पेश करती है. हालांकि, फिल्म को लेकर दर्शकों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली हैं. कुछ लोग इसे उम्मीदों के अनुसार नहीं पाते, वहीं कुछ को इसे देखने के बाद नकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली है.
‘सिकंदर’ का ऐतिहासिक संदर्भ और फिल्म की तुलना
जहां सलमान की ‘सिकंदर’ का ऐतिहासिक संदर्भ से कोई संबंध नहीं है, वहीं फिल्म का शीर्षक और इसके कथानक को ‘मुकद्दर का सिकंदर’ के प्रसिद्ध गीत “हमने माना ये जमाना दर्द की जागीर है” से प्रेरित माना जा सकता है. फिल्म में सलमान का किरदार कुछ ऐसा है, जो एक अच्छे और परफेक्ट व्यक्ति की छवि पेश करता है. फिल्म की कहानी में एक गंभीर संदेश है, जैसे ‘एनिमल’ से रणविजय के हार्ट ट्रांसप्लांट से उठाए गए विचारों की तरह, यहां भी सलमान खान का किरदार कुछ बड़ा बदलाव लाने की कोशिश करता है. हालांकि, फिल्म की कहानी को लेकर दर्शकों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं.
सलमान की कद काठी और लव स्टोरी पर सवाल
फिल्म में सलमान खान की कद काठी बार-बार बदलती नजर आती है, जिससे यह महसूस होता है कि कहीं न कहीं सलमान की एक्टिंग और लुक्स में कुछ असंगति है. जहां एक ओर उनका चेहरा दिखाई देता है, वहीं लॉन्ग शॉट्स और बैक टू कैमरा शॉट्स में उनके शरीर के हाव-भाव कुछ और ही बयां करते हैं. इसके अलावा, सलमान और रश्मिका के बीच लव स्टोरी को भी दर्शकों ने कुछ खास पसंद नहीं किया. उनके बीच की केमिस्ट्री नदारद सी दिखती है, जो फिल्म के गाने और घटनाक्रम से मेल नहीं खाती.
फिल्म की कमजोर पटकथा और संवादों की कमी
फिल्म की कहानी और पटकथा को लेकर भी कई आलोचनाएं सामने आई हैं. फिल्म में कई जटिल और बेतुकी घटनाओं को जोड़ा गया है, जो दर्शकों के लिए समझना मुश्किल हो जाता है. संवादों में कुछ ऐसा खोखलापन दिखाई देता है, जैसा कि पहले भी कई हिंदी फिल्मों में देखा गया है. जैसे एक गुजराती राजकुमार दिल्ली में सीधे किसी से गुजराती में बात करता है और काम हो जाता है, यही वह प्रकार की घटनाएं हैं, जो फिल्म की वास्तविकता से कोसों दूर हैं.
निर्देशक ए आर मुरुगादॉस का कमजोर निर्देशन
ए आर मुरुगादॉस, जिन्होंने ‘गजनी’, ‘हॉलीडे’ और ‘अकीरा’ जैसी फिल्में बनाई हैं, इस बार कुछ खास नहीं कर पाए. फिल्म में ओवरएक्टिंग की भरमार है और कहानी में कोई स्पष्ट दिशा नजर नहीं आती. रश्मिका मंदाना भी अपनी भावनाओं में खोई हुई नजर आती हैं, और उनके अभिनय से ऐसा लगता है कि उन्हें अभिनय करने की कोई खास जरूरत नहीं है, बस नाम ही काफी है.
गीत-संगीत: एकमात्र सकारात्मक पहलू
फिल्म का म्यूजिक और गीत-संगीत एकमात्र ऐसी चीज है, जो दर्शकों को थोड़ा राहत देता है. संगीतकार प्रीतम और गीतकार समीर आन्जान ने शानदार म्यूजिक दिया है, जिसे अगले कुछ समय तक याद रखा जाएगा, हालांकि, यह शायद फिल्म के अन्य पहलुओं की खामियों को ढकने के लिए पर्याप्त नहीं है.
सलमान खान की ‘सिकंदर’ एक बार फिर से दर्शकों को उम्मीदों से भरी लेकिन निराशा देने वाली फिल्म साबित हो रही है. यह फिल्म उन सभी तत्वों की कमी महसूस कराती है, जो एक अच्छी फिल्म में होने चाहिए. लेकिन, फिर भी सलमान के फैंस के लिए फिल्म में कुछ खास हो सकता है. फिल्म की कमजोर पटकथा, असंगत अभिनय और नीरस कहानी के बावजूद, इसका संगीत एक छोटी सी उम्मीद जरूर जगा सकता है.
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