मुंबई: भारतीय सिनेमा के अमिट स्तंभों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मुंबई के जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित पहले विश्व ऑडियो विजुअल एवं मनोरंजन शिखर सम्मेलन (WAVES) का उद्घाटन किया. इस अवसर पर उन्होंने भारतीय सिनेमा की पांच ऐतिहासिक हस्तियों — गुरु दत्त, पी. भानुमति, राज खोसला, ऋत्विक घटक और सलिल चौधरी — के सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी किए.
गुरु दत्त: संवेदनशीलता और सौंदर्य के कवि
गुरु दत्त, जिनका असली नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोणे था, 1950-60 के दशक की भारतीय सिनेमा की आत्मा थे.
• प्रमुख फिल्में: प्यासा, कागज़ के फूल, साहिब बीबी और गुलाम, चौदहवीं का चांद
• उन्हें ‘भारत का ऑर्सन वेल्स’ कहा गया, जो उनकी कला की गहराई और दृष्टिकोण को दर्शाता है.
उनका निधन 10 अक्टूबर 1964 को हुआ, पर वे आज भी कला प्रेमियों के हृदय में जीवित हैं.
पी. भानुमति: बहुमुखी प्रतिभा की प्रतीक
तेलुगू सिनेमा की पहली महिला सुपरस्टार और निर्देशक पी. भानुमति ने एक सदी के भीतर सैकड़ों फिल्मों में अभिनय, निर्देशन, लेखन और संगीत दिया.
• निर्देशन की शुरुआत: चंदीरानी (1953)
• पद्म भूषण सम्मान: 2001
• भाषाएँ: मुख्यतः तेलुगू और तमिल
उनकी यात्रा 24 दिसंबर 2005 को समाप्त हुई, लेकिन उनका योगदान अमर है.
राज खोसला: सस्पेंस और नारी प्रधान सिनेमा के शिल्पी
राज खोसला ने हिंदी फिल्मों में नारी पात्रों को केंद्रीय भूमिका दी और थ्रिलर शैली को नई ऊँचाइयाँ दीं.
• उल्लेखनीय फिल्में: वो कौन थी?, मेरा साया, दो रास्ते, दोस्ताना, सीआईडी
उनकी निर्देशकीय शैली ने 1970-80 के दशक में हिंदी सिनेमा की दिशा बदल दी.
उनका निधन 9 जून 1991 को हुआ.
ऋत्विक घटक: कला, विचार और समाज का संगम
बांग्ला सिनेमा के इस अनूठे निर्देशक ने भारतीय सिनेमा को यथार्थवाद से जोड़ा.
• प्रसिद्ध फिल्में: मेघे ढाका तारा, अजांत्रिक, सुवर्णरेखा
• उन्होंने शेक्सपियर के मैकबेथ का बांग्ला में अनुवाद और मंचन भी किया.
• उन्होंने इंदिरा गांधी पर एक अधूरी शॉर्ट फिल्म भी बनाई.
उनकी यात्रा 6 फरवरी 1976 को समाप्त हुई, लेकिन उनकी फिल्में आज भी सामाजिक सोच को झकझोरती हैं.
सलिल चौधरी: संगीत का अंतर्राष्ट्रीय चेहरा
सलिल चौधरी एक बहुभाषी संगीतकार, गीतकार, लेखक और कवि थे.
• भाषाएँ: हिंदी, बंगाली, मलयालम, गुजराती सहित 13 भाषाएँ
• उल्लेखनीय पुरस्कार:
o दो बीघा ज़मीन के लिए पहला फिल्मफेयर पुरस्कार
o मधुमती के लिए संगीत निर्देशन में फिल्मफेयर सहित कई सम्मान
o संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1988)
o महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार (1990)
5 सितंबर 1995 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनका संगीत आज भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करता है.
भारतीय सिनेमा के इन पाँच स्तंभों को डाक टिकट के माध्यम से सम्मानित कर प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल उनके योगदान को स्मरण किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को सिनेमा के सुनहरे युग से जोड़ने का प्रयास भी किया है. यह पहल भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।