उदित वाणी, जमशेदपुर: सोनू सूद की बतौर निर्देशक पहली फिल्म फतेह का इंतजार लंबे समय से हो रहा था. फिल्म में सोनू सूद, जैकलीन फर्नांडिस, विजय राज, दिब्येंदु भट्टाचार्य ने अभिनय किया है. 16 मार्च 2024 को फिल्म का पहला टीजर आया था और तभी से चर्चाएं थीं कि यह फिल्म उनके करियर को नई ऊंचाई दे सकती है. लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई, तो क्या यह उम्मीदों पर खरी उतरी? आइए जानते हैं.
कहानी: फ्लैशबैक के जाल में उलझी कहानी
फतेह की कहानी पंजाब में रहने वाले एक व्यक्ति की है जिसका अतीत खतरनाक है. एक लड़की के लापता होने से उसकी जिंदगी फ्लैशबैक में लौटती है और बार-बार फ्लैशबैक के भीतर फ्लैशबैक चलता रहता है. कहानी का मुख्य मुद्दा कर्ज बांटने वाले ऐप्स के जाल को उजागर करना है, जो समाज में गहराई तक अपनी जड़ें फैला चुके हैं.
फतेह पहले भाड़े का हत्यारा रह चुका है, लेकिन हिंदी फिल्मों की परंपरा के अनुसार, उसे सरकार का मददगार भी बना दिया गया है. कहानी का विचार तो सही है, लेकिन इसकी प्रस्तुति बेहद साधारण और कई जगह थकी हुई लगती है.
निर्देशन: क्या सोनू सूद ने खुद को निराश किया?
सोनू सूद ने बतौर निर्देशक इस फिल्म को बड़ा बनाने की कोशिश की है, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए.
• फिल्म की शुरुआत आइरिशमैन की फ्रेम-दर-फ्रेम कॉपी लगती है.
• आगे की कहानी जॉन विक, ट्रांसपोर्टर, और एजेंट 47 जैसी फिल्मों से प्रेरित लगती है.
• स्पेशल इफेक्ट्स और कंप्यूटर ग्राफिक्स बेहद कमजोर हैं.
फिल्म देखने के बाद लगता है कि सोनू सूद को निर्देशन के लिए एक अनुभवी और क्रिएटिव टीम की जरूरत थी.
अभिनय: किसने प्रभावित किया, किसने निराश?
• सोनू सूद: बतौर अभिनेता उनका प्रदर्शन औसत है.
• जैकलीन फर्नांडिस: उनका किरदार क्यों है, यह शायद उन्हें भी पता नहीं.
• विजय राज: उनके किरदार में दम नहीं है.
• दिब्येंदु भट्टाचार्य: जैसे प्रतिभाशाली अभिनेता का भी उपयोग सही तरीके से नहीं हुआ.
क्या “फतेह” देखने लायक है?
फिल्म देखने पर यह अहसास होता है कि इसमें ऐसा कुछ भी नया नहीं है, जो दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच सके.
• फ्लैशबैक में उलझी कहानी, कमजोर निर्देशन और स्पेशल इफेक्ट्स, फिल्म को कमजोर बनाते हैं.
• दर्शकों को हर सीन में पुरानी फिल्मों की झलक दिखाई देती है.
निष्कर्ष: आगे की राह क्या हो?
फतेह सोनू सूद के लिए एक बड़ी चुनौती है. यह न केवल उनकी मिलियन-डॉलर ब्रांडिंग को नुकसान पहुंचा सकती है, बल्कि उनके निर्देशन करियर को भी सवालों के घेरे में खड़ा करती है.
अगर सोनू सूद को भविष्य में निर्देशन करना है, तो उन्हें एक मजबूत और रचनात्मक टीम की जरूरत होगी, जो विश्व सिनेमा को समझे और ओरिजिनल कंटेंट पेश कर सके.
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