उदित वाणी, मुंबई: आमिर खान प्रोडक्शंस की ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ और ‘लाल सिंह चड्ढा’ के बाद ‘लवयापा’ नाम की यह नई फिल्म पूरी तरह एक अलग शैली में बनाई गई है. इस बार निर्माण फैंटम फिल्म्स के बैनर तले हुआ है, फिल्म के कलाकार हैं जुनैद खान, खुशी कपूर ,आशुतोष राणा ,तनविका पार्लीकर ,किकू शारदा और ग्रुशा कपूर.
प्रेम कहानी या स्वयं की बनाई बाधाएं?
‘लवयापा’ की कहानी 2022 में आई तमिल फिल्म ‘लव टुडे’ से ली गई है. हिंदी में इसे स्नेहा देसाई ने रूपांतरित किया है. फिल्म में दिखाया गया है कि अब प्रेम में बाधाएं पारंपरिक सामाजिक बंदिशें नहीं, बल्कि खुद की बनाई हुई उलझनें हैं. रिश्तों में झूठ, भ्रम और डिजिटल युग की दुविधाएं इस कहानी का मुख्य आधार हैं. नायिका का चरित्र कई उलझनों से भरा है— वह एक प्रेमी से झूठ बोलकर दूसरे के साथ लॉन्ग ड्राइव पर जाती है और पहले प्रेमी को छोड़कर किसी और के साथ अपने नए बॉयफ्रेंड से मिलने आती है. दूसरी ओर, नायक खुले तौर पर स्वीकार करता है कि पोर्नोग्राफी देखने से वह अपने रिश्ते में ‘शरीफ’ बना रहता है.
अभिनय: जुनैद और खुशी कितना खरे उतरे?
‘लवयापा’ के जरिए आमिर खान के बेटे जुनैद खान और श्रीदेवी की बेटी खुशी कपूर बड़े पर्दे पर कदम रख रहे हैं. लेकिन उनकी पहली झलक निराश करती है. जुनैद इससे पहले अपनी पहली फिल्म ‘महाराज’ में काफी दमदार अभिनय करते दिखे थे, लेकिन ‘लवयापा’ में उनका अभिनय अभी परिपक्व नहीं लगा. संवाद बोलने से पहले और बाद में उनका लगातार हंसना यह दर्शाता है कि वे किरदार में पूरी तरह समाहित नहीं हो पाए हैं.
खुशी कपूर भी कैमरा फेस करने में सहज नहीं दिखीं. उनकी स्क्रीन प्रजेंस औसत रही और संवाद अदायगी में आत्मविश्वास की कमी साफ झलकी. हालांकि, फिल्म में किकू शारदा और तनविका पार्लीकर का ट्रैक ज्यादा प्रभावशाली रहा. सामाजिक तानों से जूझते एक युवक की भूमिका में किकू ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. वहीं, उनकी मंगेतर के रूप में तनविका का उत्सुक और चुलबुला अंदाज भी ध्यान आकर्षित करता है.
पिता-पुत्र के रिश्ते में आशुतोष राणा की चमक
फिल्म में आशुतोष राणा ने नायिका के पिता की भूमिका निभाई है. उनकी उपस्थिति फिल्म में एकमात्र मजबूत पक्ष रही. वे शुद्ध हिंदी में संवाद बोलते हैं, सितार बजाते हैं और अपने शैक्षिक स्वाभिमान को गर्व से प्रदर्शित करते हैं. उनके घर की दीवार पर लगी नेमप्लेट इस बात का प्रतीक है कि वे अपनी बौद्धिकता पर गर्व करते हैं. उनके दोनों बेटियां उनसे डरती हैं और झूठ बोलने में माहिर हैं, जो फिल्म में एक दिलचस्प सामाजिक पहलू जोड़ता है.
फिल्म का कमजोर पक्ष
‘लवयापा’ की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसकी प्रेम कहानी जरूरत से ज्यादा वैयक्तिक स्तर पर उलझी हुई है. इसमें सामाजिक परिवेश की कोई ठोस भागीदारी नहीं है, जिससे दर्शक खुद को जोड़ नहीं पाते. हिंदी सिनेमा के दर्शक या तो बड़े सपनों और ऊंची उड़ानों वाली कहानियों से जुड़ते हैं या फिर गहरी भावनात्मक प्रेम कहानियों से. ‘लवयापा’ इन दोनों के बीच अधूरी सी लगती है.
इसके अलावा, फिल्म का निर्देशन, सिनेमैटोग्राफी, संवाद लेखन और संगीत सब औसत दर्जे का है. आमिर खान के बेटे जुनैद के करियर की शुरुआत इससे बेहतर फिल्म से होनी चाहिए थी.
‘लवयापा’ : क्या जुनैद खान दोहराएंगे इमरान खान की कहानी?
फिल्म के नाम ‘लवयापा’ में पंजाबी शब्द ‘सियापा’ का ट्विस्ट आमिर खान की ही क्रिएटिविटी का नतीजा है. यह वही क्रिएटिविटी है, जिससे उन्होंने अपने भांजे इमरान खान के लिए ‘डी के बोस’ जैसे गाने बनाए थे. इमरान खान हिंदी सिनेमा में धूमकेतु की तरह चमके और फिर खो गए. क्या जुनैद भी उसी राह पर चल पड़ेंगे?
इस हफ्ते दो प्रेम कहानियां सिनेमाघरों में आईं. एक सात घंटे लंबी वेब सीरीज़ थी, लेकिन उसने दर्शकों को बोर नहीं किया. दूसरी मात्र सवा दो घंटे की है, फिर भी वह थका देने वाली लगती है.
‘लवयापा’ का मुख्य सवाल यही है— साल 2025 में प्रेम कहानी का खलनायक कौन है? डिजिटल दौर में प्रेम की नई परिभाषा क्या होगी? और क्या जुनैद खान और खुशी कपूर हिंदी सिनेमा में लंबे समय तक टिक पाएंगे?
फिलहाल, इस फिल्म से इन सवालों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलता.
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