उदित वाणी, जमशेदपुर:14 दिसंबर, 2024 को दिवंगत अभिनेता और निर्देशक राज कपूर की 100वीं जयंती मनाई जा रही है. इस विशेष अवसर पर, कपूर परिवार और सिनेमा प्रेमी बॉलीवुड के शोमैन की याद में एक खास फिल्म फेस्टिवल का आयोजन कर रहे हैं. आर.के. फिल्म फेस्टिवल के माध्यम से राज कपूर की कुछ बेहतरीन फिल्मों को फिर से बड़े पर्दे पर देखा जा सकेगा. यह फिल्म फेस्टिवल 13 से 15 दिसंबर तक 34 शहरों के 101 सिनेमाघरों में आयोजित होगा और इस दौरान उनकी कालातीत फिल्मों का आनंद लिया जा सकेगा. राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर 1924 को पंजाब के पेशावर शहर में हुआ था (जो अब पाकिस्तान में है). वे भारतीय सिनेमा के एक महान अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और लेखक थे. उन्हें “भारत के शोमैन” के नाम से भी जाना जाता है. उनका सिनेमा में योगदान अनमोल है, और वे बॉलीवुड के सबसे प्रभावशाली और प्रशंसा प्राप्त करने वाले व्यक्तित्वों में से एक रहे हैं. राज कपूर का असली नाम राम जन्म कपूर था. उनका परिवार थिएटर और सिनेमा से जुड़ा हुआ था. उनके पिता पृथ्वीराज कपूर एक प्रसिद्ध अभिनेता थे और उनके दादा भी थिएटर के कलाकार थे. राज कपूर ने मुंबई के एक थिएटर ग्रुप से अभिनय की शुरुआत की थी. 1940 के दशक में, उन्होंने ‘प्रकाश पिक्चर्स’ में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया.
राज कपूर की सिनेमाई यात्रा: एक अद्भुत सफर
राज कपूर का फिल्मी करियर 1948 में निर्देशक के तौर पर शुरू हुआ, जब उन्होंने अपनी पहली फिल्म आग का निर्देशन किया. यह फिल्म उनके बैनर आर.के. फिल्म्स के तहत बनी थी, जो कि एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ. इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्मों का निर्देशन किया और अपनी पहचान बनाई. राज कपूर का सिनेमा जगत में योगदान अमूल्य है. उनकी फिल्में केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि सामाजिक मुद्दों पर गहरे विचारों की प्रस्तुति भी थीं. इस खास फिल्म फेस्टिवल में सात ऐसी फिल्में दिखाई जाएंगी, जिन्होंने न केवल हिंदी सिनेमा को दिशा दी, बल्कि लाखों दर्शकों के दिलों में राज कपूर को अमर बना दिया. राज कपूर की फिल्मों में अक्सर सामाजिक मुद्दों, प्रेम, और मानवीय भावनाओं का खूबसूरत चित्रण होता था. उनकी प्रमुख फिल्मों में आवारा (1951), बरसात (1949), श्री 420 (1955) जागते रहो (1956), संगम (1964), जिस देश में गंगा बहती है (1960), और बॉबी (1975) शामिल हैं.
आवारा को उनकी सबसे बड़ी और लोकप्रिय फिल्मों में से एक माना जाता है. इस फिल्म ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और उन्हें एक महान निर्देशक और अभिनेता के रूप में स्थापित किया.
बॉबी (1975), उनकी फिल्म जो उन्होंने अपने बेटे ऋषि कपूर और अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया के साथ बनाई, एक सुपरहिट साबित हुई और इसके बाद उनके बेटे ऋषि कपूर ने बॉलीवुड में एक नई शुरुआत की.
राज कपूर की Love Stories
राज कपूर और कृष्णा कपूर
राज कपूर का विवाह कृष्णा कपूर से हुआ था,जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थीं. उनका विवाह एक प्रेम विवाह था और दोनों के बीच गहरा सम्मान और समझ थी. राज कपूर ने अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाई और कृष्णा कपूर के साथ उनका जीवन बहुत ही शांतिपूर्ण और सजीव था. कृष्णा कपूर से राज कपूर के चार बच्चे हुए, जिनमें रणधीर कपूर, ऋषि कपूर, रीमा कपूर, रितु नंदा और राजीव कपूर शामिल हैं.
राज कपूर और नरगिस
राज कपूर और नरगिस की जोड़ी हिंदी सिनेमा की सबसे चर्चित और प्रभावशाली जोड़ियों में से एक मानी जाती है. दोनों की प्रेम कहानी फिल्म इंडस्ट्री में एक रहस्य बनी रही, क्योंकि उन्होंने कभी भी अपने रिश्ते को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया. फिल्म आवारा (1951) के दौरान राज कपूर और नरगिस के बीच गहरी मित्रता और प्यार पनपा. नरगिस, राज कपूर की फिल्मों की प्रमुख अभिनेत्री थीं, और उनके साथ राज कपूर का फिल्मी और व्यक्तिगत संबंध बहुत गहरा था. हालांकि, नरगिस की शादी के बाद दोनों का रिश्ता टूट गया, लेकिन उनकी अनोखी केमिस्ट्री हमेशा याद की जाती है. उनके रिश्ते में एक अदृश्य प्रेम था, जो फिल्मी पर्दे से बाहर भी दिखाई देता था.
राज कपूर और मीना कुमारी
राज कपूर और मीना कुमारी के बीच भी एक गहरी दोस्ती और प्रेम संबंध था. मीना कुमारी की आँखों में हमेशा एक गहरी उदासी और नकारात्मक भावनाएँ झलकती थीं, और राज कपूर के साथ उनके रिश्ते में भी वह कुछ ऐसा ही था. हालांकि यह प्रेम कहानी कभी भी परवान नहीं चढ़ी, लेकिन दोनों के बीच बहुत गहरी समझ थी. यह प्रेम कहानी कभी पूर्ण रूप से सामने नहीं आई, लेकिन दोनों की आपस में समझ और समर्थन हमेशा उनके जीवन में रहा.
राज कपूर की असफलता: ‘मेरा नाम जोकर’ और उसका दर्द
राज कपूर का करियर उतार-चढ़ाव से भरा हुआ था. मेरा नाम जोकर उनकी जिंदगी की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना थी, लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही. फिल्म की लंबाई और उसमें शामिल विवादास्पद सीन्स ने इसे उस समय के दर्शकों के लिए स्वीकार्य नहीं बनाया. हालांकि, यह फिल्म बाद में विदेशों में विशेष रूप से रूस में बेहद सफल हुई. लेकिन फिल्म की असफलता ने राज कपूर को गहरे रूप से प्रभावित किया. फिल्म का बजट 1 करोड़ रुपये का था. लेकिन अगर आज ये फिल्म बनती तो रिपोर्ट्स की मानें तो फिल्म का बजट 430 करोड़ रुपये के आस-पास होता. जबकी फिल्म की कमाई की बात करें तो रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्म ने 70-80 लाख रुपये की कमाई की थी. जो आज के समय में 320-340 करोड़ के आस-पास होता.
क्यों फ्लॉप हुई थी ‘मेरा नाम जोकर’?
मेरा नाम जोकर की असफलता की कई वजहें थीं. फिल्म की लंबाई, इसके दो इंटरवल, और कुछ आपत्तिजनक सीन्स ने उसे उस समय के समाज में ठीक से जगह नहीं दी. हालांकि, इस फिल्म ने विदेशों में जबर्दस्त सफलता हासिल की, लेकिन भारत में इसके नाकाम होने का दर्द राज कपूर के दिल में हमेशा बना रहा.इस फिल्म की फिलॉस्फी उस समय की सोच से कहीं आगे थी. बाद में इसे अहेड ऑफ टाइम यानी समय से पहले का काम माना गया. इस ही सोच को इस फिल्म की असफलता की प्रमुख वजहों में से एक माना गया. हालांकि, भारत में यह फिल्म असफल रही, लेकिन विदेशों में इसे काफी सराहा गया. रूस में, यह फिल्म असल में ब्लॉकबस्टर साबित हुई और वहां इसकी जबरदस्त कामयाबी ने राज कपूर के हौसले को नया रूप दिया. फिल्म ने रूस में 73.1 मिलियन टिकट्स की बिक्री की, जो कि लगभग 7 करोड़ 31 लाख टिकट्स के बराबर था. यह अपने आप में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड था. जब फिल्म भारत में फ्लॉप हो गई, तो राज कपूर ने इसके राइट्स बेच दिए थे. रूस में फिल्म ने जो मुनाफा कमाया, वह डिस्ट्रीब्यूटर्स को गया और राज कपूर को जो हाथ में आया, वह केवल निराशा थी. यह निराशा उनके जीवन का एक अविस्मरणीय हिस्सा बन गई. हालांकि, इस घटना ने यह साबित कर दिया कि कभी-कभी वक्त की समझ और दर्शकों की पसंद के बीच एक बड़ा अंतर होता है.
निधन
राज कपूर ने 2 जून 1988 को मुंबई में अंतिम सांस ली. उनके निधन के बाद भी उनकी फिल्मों और उनके योगदान को याद किया जाता है. वे भारतीय सिनेमा के एक अमर सितारे बने रहे, जिनकी फिल्मों ने न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी दर्शकों को मोहित किया. राज कपूर का योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा जीवित रहेगा. उनकी फिल्मों ने एक पीढ़ी को प्रभावित किया और उनके नाम के साथ भारतीय सिनेमा का एक नया अध्याय जुड़ गया. राज कपूर न केवल अपने समय के सबसे बड़े शोमैन थे, बल्कि उनके निर्देशन और अभिनय ने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी. उनकी फिल्में आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं और उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा.
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